Sawan Somvar & Chandra Grahan LIVE: खत्म हुआ चंद्र ग्रहण; कल से लग रहा है सावन सोमवार, इस तरह करें भोलेनाथ को प्रसन्न
इस साल के तीसरे चंद्रग्रहण का आषाढ़ की पूर्णिमा को लगना एक अद्भुत संयोग है क्योंकि आषाढ़ की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. आइये जानें क्या असर पड़ेगा इस अद्भुत संयोग वाले चंद्रग्रहण का.
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Background
Lunar Eclipse 2020, Chandra Grahan 2020 Today Timing in India: कल यानी 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व है और इसी दिन लगने वाला चंद्रग्रहण समाप्त हो चुका है. यह इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण था. जो इसके पहले जनवरी और 5 जून को लगा था. आषाढ़ की पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास का जन्म भी हुआ था. महर्षि व्यास ने चारों वेदों एवं महाभारत की रचना की. इस कारण उनका नाम वेद व्यास भी है.
उपछाया चंद्रग्रहण का समय
भारतीय समयानुसार चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर लगेगा और 9 बजकर 59 मिनट पर चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा. दो घंटे 43 मिनट की अवधि तक रहने के बाद यह चंद्रग्रहण 11 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं लगेगा. वैसे भी उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं माना जाता है. इस लिए चंद्रग्रहण के सूतक काल का कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्टिका में दिखाई देगा.
चंद्र ग्रहण को देखने के लिए क्या करें?
पांच जुलाई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. वैसे भी चंद्र ग्रहण को नंगी आंख से देख सकते हैं. इससे आंखों पर को बुरा असर नहीं पड़ता है. इसके साथ ही लोगों को यह याद रहे कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. सूर्य ग्रहण से निकलने वाली किरणें आंखों को नुकसान पंहुचा सकती हैं.
भगवान शिव का पूजन करते समय भूल कर भी तुलसी के पत्तों को नहीं चढ़ाना चाहिए. तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण को प्रिय है भगवान शिव को नहीं
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़ में कालसर्प दोष को एक अशुभ योग है. जिसकी जन्म कुंडली में काल सर्प दोष होता है वह जीवन भर समस्याओं से जूझता रहता है. मानसिक तनाव बना रहता है. धन की कमी रहती है. कार्य में रुकावटें आती हैं. सावन के हर सोमवार को व्रत रखने और भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा करने से कालसर्प का दोष कम हो जाता है.
हिन्दू पंचांग के मुताबिक़ सावन मास के पहले सोमवार को विशेष योग बन रहा है. सावन मास की शुरुआत सोमवार से हो रहा है. इस दिन प्रतिपदा तिथि और वैधृति योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है. सूर्य मिथुन राशि और चंद्रमा मकर राशि में मौजूद होंगे.
Sawan 2020: 6 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन का महीना, पहले सोमवार को बन रहा है विशेष योग
Month Of Sawan: 6 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है. चातुर्मास में सावन के महीने का विशेष महत्व है. सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन मास में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा होती है. इसके लिए सबसे पहले जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगा जल और गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक किया जाता है. इसके बाद दूब, कुशा, कमल, राई, बेलपत्र, धतूरा, मदार, नीलकमल, कनेर, समीपत्र चढ़ाए जाते हैं. इसके बाद भगवान शिव की आरती उतारी जाती है.