Fourth Sawan Somwar 2023: सावन 2023 में आठ सोमवार व्रत आएंगे. आज सावन का तीसरा सोमवार है. ऐसे में अब 5 सावन सोमवार व्रत शेष बचे हैं. हिन्दू धार्मिक मान्यतों के अनुसार सावन सोमवार पर शिव का रुद्राभिषेक करने से कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष दूर हो जाते हैं.
शिव पुराण के अनुसार सिर्फ रुद्राभिषेक के जरिए ही शिव जी के साथ-साथ अन्य देवगणों की पूजा भी सिद्ध हो जाती है. ऐसे में अगर आप अब तक सावन में रुद्राभिषेक नहीं कर पाए हैं तो बाकी बचे सावन सोमवार पर ऐसे रुद्राभिषेक करें.
सावन सोमवार 2023 डेट (Sawan Somwar 2023 Date)
- चौथा सावन सोमवार - 31 जुलाई 2023 (अधिकमास)
- पांचवां सावन सोमवार - 7 अगस्त 2023 (अधिकमास)
- छठा सावन सोमवार - 14 अगस्त 2023 (अधिकमास)
- सातवां सावन सोमवार - 21 अगस्त 2023
- आठवां सावन सोमवार - 28 अगस्त 2023
सावन में रुद्राभिषेक का महत्व (Sawan Somwar Rudrabhishek Significance)
सावन शिव का प्रिय महीना है. सभी देवताओं में रूद्र समाहित हैं और सभी देवता रूद्र का ही अवतार है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी रूद्र के ही अंश हैं, इसलिए रुद्राभिषेक के द्वारा ऐसा भी माना जाता है की सभी देवताओं की पूजा अर्चना एक साथ हो जाती है. सावन में सभी देवताओं की पूजा से व्यक्ति के हर कष्ट दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूर्ण होती है.
“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।”
रुद्राभिषेक के लाभ (Rudrabhishek Benefit)
- धन प्राप्ति के लिए शिव जी का रुद्राभिषेक जल से किया जाता है.
- घर या प्रॉपर्टी से जुड़े लाभ प्राप्त करने के लिए शिव जी का दही से रुद्राभिषेक करना फलदायी होता है.
- संतान सुख के लिए शहद से शिव का रुद्राभिषेक करना उत्तम होता है.
- यश, कीर्ति पाने के लिए सावन सोमवार पर घी से रुद्राभिषेक करना चाहिए.
- शत्रु से मुक्ति पाना है तो सावन सोमवार के दिन गन्ने के रस से महादेव का रुद्राभिषेक करें.
- छात्र यदि दूध में शक्कर मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें तो इससे उनकी बुद्धि में वृद्धि होती है और परीक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं.
रुद्राभिषेक का मंत्र (Rudrabhishek Mantra)
सावन सोमवार पर शिव जी का रुद्राभिषेक करते हैं समय इस मंत्र का निरंतर जाप करते रहे. मान्यता है इससे शिवलिंग में भोलेनाथ का वास होता है - “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:”
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