Sawan Somwar 2023 Shiva Panchakshara Stotra: सावन महीना शिवजी का प्रिय महीना है और सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन को बहुत खास माना जाता है. इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा-अराधना करते हैं और व्रत रखते हैं. 07 अगस्त 2023 को अधिकमास सावन का पांचवा सोमवार व्रत रखा जाएगा. मान्यता है कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन किए पूजा-पाठ, व्रत, उपाय आदि से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कुंडली में चल रहे ग्रह-दोष भी दूर हो जाते हैं.
ज्योतिष में कालसर्प दोष को खरतनाक माना गया है. कालसर्प दोष12 प्रकार के होते हैं, जिसका व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव पड़ता है. कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में यह दोष होता है, उसका जीवन परेशानियों से घिर जाता है. इसलिए लोग इसका नाम सुनते ही डर जाते हैं. कालसर्प दोष तब बनता है कि, जब कुंडली में राहु और केतु एक ओर होते हैं तब अन्य ग्रह इनके बीच आ जाते हैं.
शिवजी की भक्ति-उपासना से आप इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है. सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है. इसके साथ ही आप प्रत्येक सोमवार को भी इसका पाठ कर सकते हैं.
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व (Importance of Shiva Panchakshara Stotra)
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पांच श्लोकों में ‘नम: शिवाय’ यानी ‘न’, ‘म’, ‘शि’, ‘वा’ और ‘य’ में शिवजी के स्वरूप का वर्णन मिलता है. इसमें शिवजी की स्तुति के विषय में लिखा गया है और शिवजी के स्वरूप व गुणों की व्याख्या की गई है. ऐसे में सावन के सोमवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी बहुत प्रसन्न होते हैं. इसलिए शिवजी की पूजा में और विशेषकर सोमवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसके साथ ही अगर कुंडली में कालसर्प दोष या योग है तो इस स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए.
शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiva Panchakshara Stotra)
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वशिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।
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