(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sawan Vinayak Chaturthi 2023: सावन विनायक चतुर्थी कब ? नोट करें डेट, मुहूर्त, बहुत खास है ये दिन
Sawan Vinayak Chaturthi 2023: सावन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है. विनायक चतुर्थी व्रत को करने से संतान, धन सुख की प्राप्ति होती है, जानते हैं इस सावन विनायक चतुर्थी की डेट
Sawan Vinayak Chaturthi 2023: सावन माह में शिव परिवार की पूजा बहुत खास मानी जाती है. सावन का शुक्ल पक्ष 17 अगस्त 2023 से शुरू हो रहा है. इस बार अधिकमास होने की वजह से सारे व्रत-त्योहार देरी से आएंगे. सावन में विनायक चतुर्थी का व्रत महत्वपूर्ण माना गया है.
विनायक चतुर्थी व्रत को करने से संतान, धन सुख की प्राप्ति होती है, बुद्धि, बल में वृद्धि होती है. साथ ही गणपति बप्पा बेहद प्रसन्न होते हैं. आइए सावन विनायक चतुर्थी व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व.
सावन विनायक चतुर्थी 2023 डेट (Sawan Vinayak Chaturthi 2023 Date)
सावन विनायक चतुर्थी व्रत 20 अगस्त 2023 को रखा जाएगी. विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं.
सावन विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त (Sawan Vinayak Chaturthi 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरुआत 19 अगस्त 2023 को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगी और 21 अगस्त 2023 को प्रात: 12 बजकर 21 मिनट पर इसका समापन होगा. विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है. इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है.
- पूजा मुहूर्त - सुबह 11.26 - दोपहर 01.58 (20 अगस्त 2023)
- चंद्रोदय समय - सुबह 09.03
- चंद्रास्त समय - रात 09.09
सावन विनायक चतुर्थी महत्व
सावन में शिव जी के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा करना बहुत शुभ होता है. खासकर विनायक चतुर्थी पर व्रत करने वालों के सार संकट स्वंय गणपति जी हर लेते हैं. बुद्धि, धन, बल, विद्या और पारिवारिक खुशहाली के लिए इस दिन गणेश जी की पूजा करना चाहिए.
सावन विनायक चतुर्थी पूजा विधि
सावन विनायक चतुर्थी व्रत के दिन प्रातः काल स्नान के बाद पीले या लाल वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें और पूजा की चौकी पर चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं एवं उस पर गणपति की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.गणपति को रोली, मौली, जनेऊ, दूर्वा, पुष्प, पंचमेवा, पंचामृत, चावल चढ़ाएं. भोग में मोदक, मोतीचूर के लड्डू, अर्पित करें. तीन मुखी दीपक लगाकर गणेस जी के मंत्रों का जाप करें. आरती करने के बाद प्रसाद सभी में बांटें. इस दिन चंद्रमा की पूजा नहीं करनी चाहिए.
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