Ancient History: पृथ्वी पर दिन और रात होने के कारणों को खोजने वाले ब्रूनों को क्यों मिली सजा-ए-मौत? यहां पढ़ें
Giordano Bruno Story: इतिहास (History) के पन्नों पर आज जर्दानो ब्रूनो का नाम भले गी बहुत सम्मान से लिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हें सच बोलने पर जिंदा जला दिया गया था.
Ancient History, Story of Astronomer Giordano Bruno: जर्दानो ब्रूनो का जन्म 1548 में इटली में हुआ था. ब्रूनो इतावली भौतिकशास्त्री (Physicist) और खगोलशास्त्री (Astronomer) थे. ब्रूनो ने 17 साल की उम्र में ही खोजबीन कर ऐसी किताबों को पढ़ना शुरू कर दिया था, जोकि रोमन कैथलिक साम्राज्य में प्रतिबंधित थीं. क्योंकि इन किताबों से धर्म और ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्न और तार्किक व्याख्या की गई थी.
धर्म, विज्ञान और सत्य के लिए जर्दानो ब्रूनो ने चुकाई कीमत
15वीं शताब्दी के दौर में खगोल विज्ञान (Astronomy) पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था. ग्रह-नक्षत्र (Constellations) को देख गणना (Calculation) करने, खोजबीन और जानकारी जुटाने के लिए उपकरण, संसाधन और मशीनें भी उपलब्ध नहीं थी. लेकिन एक दूरबीन (Telescope) की सहायता से जर्दानो ब्रूनो रात-रातभर चांद-सितारों को देखा करते थे और इनकी गति की गणनाएं करते थे.
लंबे समय तक ब्रूनो दूरबीन से ही चांद-सितारे और सूर्य को देख पृथ्वी की गति की गणना कर रहे थे.आखिरकार उन्हें यह समझ आया कि, अबतक ग्रह-नक्षत्र के बारे में जो भी बातें कही गई हैं वह सत्य नहीं है. ब्रूनो ने अपनी गणना से पाया कि पृथ्वी अंतरिक्ष का केंद्र नहीं है, ना ही पृथ्वी चपटी है.
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है और चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर. इसी कारण धरती पर दिन-रात होते हैं और मौसम में भी बदलाव आते हैं. सूर्य एक तारा है, पृथ्वी ग्रह है और चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह. अपने गणना और खोज में ब्रूनो ने ऐसी तमाम बातों की खोज की थी और इन्हें वे छिप-छिपकर लिख भी रहे थे.
ब्रूनो से पहले निकोलाई कोपरनिकस भी कर चुके थे ग्रह-नक्षत्र की खोज
जर्दानो ब्रूनो जब 15 साल के थे जब उनके हाथ खगोलशास्त्री निकोलाई कोपरनिकस की एक किताब लगी थी, जिसमें कोपरनिकस ने भी इसी तरह से ग्रह-नक्षत्र की गणना कर चुके थे. लेकिन उनकी किताब को कैथलिक रोम में प्रतिबंध कर दिया गया था. कोपरनिकस की किताब पढ़कर ही ब्रूनो में खगोलशास्त्र और गणित की ओर रुचि पैदा हुई.
विज्ञान के रास्ते चलने पर ब्रूनो को जिंदा जला दिया गया
जर्दानो ब्रूनो ने भी अपनी खोज में कोपरनिकस के सिद्धांतों को सत्य पाया. लेकिन उस समय विज्ञान की खोज और वैज्ञानिक बातों के लिए कीमत चुकानी पड़ती थी. खासकर विज्ञान की ऐसी खोज जिससे धर्म गलत साबित होता हो और यही कीमत ब्रूनो को भी चुकानी पड़ी. चर्च ने ब्रूनो पर मुकदमा चलाया और उन्हें मृत्युदंड की सजा हुई.
लेकिन मृत्युदंड की सजा भी ब्रूनो को ऐसी मिली कि, ब्रूनो की मृत्यु की तारीख का उल्लेख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. ब्रूनो को ना फांसी दी गई और ना ही जहर पिलाया गया. बल्कि ब्रूनो को रोम के चौराहे पर सरेआम भरी भीड़ के सामने जिंदा जलाया गया. इतना ही नहीं ब्रूनो को जिंदा जलाते समय रोम के चर्च के विशालकाय घंटों को बजाया जाने लगा.
क्योंकि ब्रूनो के जलने की चीख घंटों के गूंज से दब जाए और लोगों के कानों तक न पहुंचे. इसके पीछे का कारण यह था, रोम का चर्च यह चाहता था कि, ब्रूनो की मौत अन्य लोगों के लिए यह उदाहरण बने कि जो कोई भी चर्च और बाइबिल के खिलाफ जाने की हिम्मत करेगा, उसकी सजा ऐसी ही होगी. हालांकि ब्रूनो की खोज और सिद्धांत को बाद में पूरी दुनिया ने स्वीकार किया. ब्रूनो की मृत्यु के लगभग 200 साल बाद सौरमंडल के 7वें ग्रह यूरेनस की खोज हुई.
धर्म और विज्ञान पर ब्रूनो के मत
- धर्म वह है, जिसमें सभी धर्मों के अनुयायी आपस में एक-दूसरे के धर्म के बारे में खुलकर चर्चा कर सकें.
- हर तारे का वैसा ही अपना परिवार होता है जैसा कि हमारा सौर परिवार है. सूर्य की तरह ही हर तारा अपने परिवार का केंद्र होता है.
- इस ब्रह्मांड में अनगिनत ब्रह्मांड हैं. ब्रह्मांड अनंत और अथाह है.
- धरती ही नहीं, सूर्य भी अपने अक्ष पर घूमता है.
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