September Ekadashi 2021: पंचाग के अनुसार साल में कुल 25 एकादशी पड़ रही हैं. हर माह दो एकादशी होती हैं. एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी (aja ekadashi) और शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का काफी महत्व है. एकादशी के व्रत के नियम (ekadashi vrat niyam) काफी सख्त होते हैं. एकादशी का व्रत दसवीं तिथि के सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय तक रहता है. इसमें खाने-पीने की कई चीजों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी का पूर्ण लाभ लेने के लिए व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. 


एकादशी व्रत के नियम (ekadashi vrat niyam)
एकादशी व्रत का नियम बहुत ही सख्त होता है. यह व्रत कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से रख सकता है. ऐसा माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी की शाम से ही मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए. इतना ही हीं, चने या चने के आटे से बनी चीज से भी परहेज करना चाहिए. इस दिन शहद खाने से भी बचना चाहिए. एकादशी के व्रत में दशमीं के दिन से ही ब्रह्मचार्य व्रत का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (lord vishnu on ekadashi vrat) को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उन्हें धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं. व्रत के दौरान क्रोध और द्वेष भावना नहीं रखनी चाहिए. इस व्रत में अन्न नहीं खाया जाता. 


एकादशी के व्रत का भोजन (ekadashi vrat bhojan)
एकादशी के व्रत में अन्न खाना मना होता है. कुछ लोग एकादशी का व्रत निर्जला करते हैं, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. वहीं, शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन इन वस्तुओं और मसालों का प्रयोग व्रत के दौरान कर सकते हैं- एकादशी के व्रत में ताजे फल, मेवे, चीनी, कुट्टू, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि खा सकते हैं. एकादशी व्रत का भोजन सात्विक होना चाहिए.


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