Shani Amavasya 2021: शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें ये कार्य, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
Shani Amavasya 2021: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या है. 4 दिसबंर शनिवार के दिन अमावस्या है, इसे शनैश्चरी अमावस्या या फिर शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाका है.
Shani Amavasya 2021: मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या है. इस साल 4 दिसबंर शनिवार के दिन मार्गशीर्ष अमावस्या है. शनिवार के दिन होने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या (Shanishchrai Amavasya 2021) या फिर शनि अमावस्या (Shani Amavsya 2021) के नाम से भी जाना जाता है. अमावस्या के दिन दान, स्नान और पूजा-पाठ आदि से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है. पितृ दोष वाले लोगों के जीवन में उन्नति, तरक्की, सुख, शांति और संतान सुख नहीं होता. ऐसे में शनैश्चरी अमावस्या के दिन विधिपूर्वक उपाय करके कुंडली से पितृ दोष को समाप्त किया जा सकता है.
मान्यता है कि पितृ दोष (Pitru Dosh) तब लगता है जब आप अपने पितरों का श्राद्ध कर्म नहीं करते. इससे पितर नाराज हो जाते हैं और क्रोधित होकर श्राप देते हैं. वहीं, अगर पितृ तृप्त होते हैं, तो वो परिवार के लोगों को सुख, आरोग्य, वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. किसी कारण अगर आप इस बार पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाएं हों, तो शनि अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं. आइए जानते हैं पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए.
अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
- शनि अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए सुबह स्नान करके पितरों को याद करें. और उन्हें काले तिल और जल से तर्पण दें.
- मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध नहीं किया हो तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान आदि कर सकते हैं. इस दिन ब्रह्मणों को भोजन कराएं. कुत्ते और कौआ को भोजन कराएं. कहा जाता है कि पक्षियों और पशुओं के माध्यम से ही भोजन पितरों तक पहुंचता है. वे तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.
- कहते हैं कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि अमावस्या की शाम मंदिर के पास पीपल के पेड़ को गाय का दूध और जल मिलाकर अर्पित करें. फिर वहां एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- शनि अमावस्या के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर गाय के दूध और गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, मदार पुष्प आदि अर्पित करें. इसके बाद पितरों का ध्यान करते हुए भगवान शिव से पितृ दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें.
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