Shanishchari Amavasya 2022 Puja Vidhi and Tithi:  वैशाख माह लग चुका है. माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं. इस बार वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल शनिवार के दिन है. अमावस्या की तिथि वैसे तो सभी के लिए महत्त्व रखती है परंतु शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह अति महत्वपूर्ण होती है. शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है.


शनि अमावस्या 2022 {Shanishchari Amavasya 2022}


हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2022 के वैशाख माह की अमावस्या 30 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है. शनिवार का दिन होने के कारण यह शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या है.


शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा


शनि अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि के बाद लकड़ी की चौकी लगाएं और इस पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं. इस पर शनि देव की प्रतिमा, यंत्र और सुपारी स्थापित करके सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनि देव पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाकर उन्हें नीले रंग के फूल अर्पित करें. इस दिन सरसों के तेल में तली हुई पूड़ी और अन्य चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है. शनि पूजा के दौरान 5, 7, 11 या 21 बार शनि मंत्र का जाप करें और शनि चालीसा का पाठ करें. अंत में शनि देव की आरती करना न भूलें.


शनि अमावस्या का महत्व


हिंदू धर्म में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है. अमावस्या के दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं, इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने परिवार एवं सगे संबंधी को सुखमय जीवन का आशीर्वाद देते है. शनि आमवस्या पर शनि देव की पूजा जरूर करनी चाहिए. इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनके कर्मों का फल देते हैं. साथ ही इससे साढ़ेसाती और ढैय्या में राहत मिलती है.



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