Shani Amavasya 2023: शनिश्चरी अमावस्या अक्टूबर में कब ? पितरों के साथ शनि देव का भी मिलेगा आशीर्वाद, यहां नोट करें डेट
Shanishchari Amavasya 2023: साल 2023 की सर्वपितृ अमावस्या बहुत खास मानी जा रही है. इस दिन शनि अमावस्या का संयोग बन रहा है. जानें शनिश्चरी अमावस्या की डेट, मुहूर्त और महत्व
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Shani Amavasya 2023: हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या तिथि श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त मानी गई हैं. कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है.
सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस साल अक्टूबर में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है. जानें अक्टूबर में शनि अमावस्या की डेट, मुहूर्त और महत्व.
शनिश्चरी अमावस्या 2023 डेट (Shanishchari Amavasya 2023 Date)
साल 2023 में शनिश्चरी अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को है. ये इस साल की आखिरी शनि अमावस्या होगी. इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है वह इस दिन पिंडदान, पीपल की पूजा, दान, तर्पण जरुर करें. इससे शनि के प्रकोप से राहत मिलेगी. महादशा के अशुभ प्रभाव खत्म होंगे.
शनि अमावस्या 2023 मुहूर्त (Shanishchari Amavasya 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार 13 अक्टूबर 2023 को रात 09 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 अक्टूबर 2023 को रात 11 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा.
- सुबह का मुहूर्त - सुबह 07.47 - सुबह 0.14
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04.41 - सुबह 05.31
- अमृत काल - सुबह 09.51 - सुबह 11.35
शनिश्चरी अमावस्या महत्व (Shani Amavasya Significance)
पौराणिक कथा के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर गंगा स्नान करने से साधक को अमृत के गुण प्राप्त होते हैं. अमावस्या तिथि पितरों की शांति के लिए समर्पित है. ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या के संयोग में तर्पण और पिंडदान करने से सात पीढ़ी के पूर्वज तप्त हो जाते हैं. शनिश्चरी अमावस्या के दिन इन कामों का पुण्य अधिक बढ़ जाता है साथ ही शनि के ढैय्या और साढ़ेसाती से मिल रही पीड़ा में कमी आती है.
शनि अमावस्या पर क्या करें (Shanishchari Amavasya Puja Vidhi)
- शनि अमावस्या पर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करें. स्नान के बाद तांबे के लोटे में पवित्र जल लें और उसमें अक्षत और फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करें.
- अब पीपल के पेड़ का पूजन कर घी का दीपक जलाएं. फिर पितरों का ध्यान कर पीपल के पेड़ में जल में काले तिल, चीनी, चावल और फूल डालकर अर्पित करें और ऊं पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें. पितृशांति और शनि दोष से मुक्ति के लिए ये पूजा विधि बहुत फलदायी है.
- शनि अमावस्या पर शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करें. अब 108 बाद ऊँ शं शनैश्चराय नमःमंत्र का जाप करें. इससे शनि साढ़े साती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. शनि की शुभता पाने के लिए इस दिन शनि चालीसा का पाठ जरूर करें.
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