Mahima Shanidev Ki: पिता सूर्य के ताप से बचने को जंगल में रह रहे शनिदेव की देखभाल के लिए हर रात उनकी मां छाया सूर्यलोक छोड़ देती थीं. इससे पहले वह संध्या के पुत्र और पुत्री यम-यमी को आराधना के लिए जाने की बात कहकर जाती थीं. शनिदेव की किशोरावस्था तक यह क्रम चलता रहा, लेकिन इधर बड़े हो रहे यम एक दिन शनिदेव के संबंध में पिता सूर्यदेव को मां छाया को चेतावनी देने की बात सुनकर परेशान हो गए. वह सोचने लगे कि उनके और यमी के अलावा और किसके लिए पिता सूर्यदेव मां को चेतावनी दे रहे हैं, आखिर हर शाम वह आराधना क्यों करती हैं और इसके लिए वह कहां जाती हैं.


एक दिन यम मां छाया से यह प्रश्न कर बैठते हैं तो वह परेशान हो उठती हैं, लेकिन इसे बताना आवश्यक नहीं बताते हुए वे टाल देती हैं. यम का शक गहरा उठता है और वह यमी के साथ इस रहस्य के खुलासे के लिए मां का पीछा करने का निर्णय करते हैं. एक शाम वह यमी को साथ लेकर पूजाघर में चुपके से दाखिल हो जाते हैं, जहां उन्हें मां संध्या यानी छाया घोड़े पर सवार होकर महल से बाहर जंगल की ओर जाती दिखती हैं. यह देखकर हैरान यम-यमी भी पीछे-पीछे चल पड़ते हैं. जंगल पहुंचने पर छाया शनि से मिलकर लाड़ दुलार करने लगती है. इस बीच वहां दैत्य गुरु शुक्राचार्य के भेजे दानव शनि को पकड़ने के लिए घूम रहे होते हैं, तभी उन पर यम-यमी की नजर पड़ जाती है और वे सहम जाते हैं. 


ऐसी खतरनाक जगह पर मां आखिर आती क्यों हैं, इसका रहस्य जाने बगैर यम लौटने से इनकार कर देते हैं, वह जंगल में आगे बढ़ने लगते हैं, तभी दानवों का झुंड उनकी ओर बढ़ता है और घबराकर यमी गिर जाती है, पत्थरों में पांव फंसने से यमी गिरकर घायल हो जाती हैं, वे चलने में असमर्थ होकर वापस सूर्यलोक लौटने की विनती करती हैं. जंगल में तेजी से बढ़ते दानवों को देखकर यम सूर्यलोक लौटने के लिए मजबूर हो जाते हैं. जान बचाकर भागे यम-यमी को जख्मी हालत में सूर्यलोक में देखकर पीछे-पीछे लौटी मां छाया देखकर व्याकुल हो उठती हैं. वह यमी को उपचार देने में जुट जाती हैं, लेकिन दानवों से भरे जंगल में मां के रोज जाने के सवाल का जवाब नहीं मिलने से यम और परेशान हो उठते हैं.


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