Shani Dev: शनि का कौन सा 'पाया' सबसे खतरनाक? सोना, चांदी, तांबा या लोहा
Shani Dev: शनि का पाया (Shani Paya), ज्योतिष शास्त्र में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. इनकी संख्या 4 बतायी गई है, सभी का अपना-अपना महत्व होता है. कुछ अशुभ तो कुछ को बहुत ही शुभ मना गया है.
Shani Dev, Shani Paya: शनि देव का स्वभाव निराला है. ज्योतिष ग्रंथों में शनि देव को एक क्रूर ग्रह के तौर पर बताया गया है. लेकिन ऐसा नहीं है. शनि सबपर अपना गुस्सा दिखाते हैं, ऐसा कतई नहीं है. इसलिए शनि के स्वभाव को समझना बहुत ही जरूरी है.
शनि की महादशा, साढ़े साती और ढैय्या के बारे में तो सभी ने सुना होगा. लेकिन क्या आपने शनि के 'पाया' (Shani Paya) के बारे में सुना है, नहीं तो यहां पर आपको इसके बारे में बताते हैं-
शनि (Shani Dev) की चाल सबसे धीमी है, यही कारण है एक राशि में दोबारा आने में लगभग 30 वर्ष का समय लगता है. वहीं एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ये लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं. जिस प्रकार से शनि के गोचर (Shani Gochar) यानि राशि परिवर्तन के महत्वपूर्ण माना गया है उसी प्रकार से शनि के पाया (Shani Paya) को भी विशेष माना गया है. क्योंकि इसके भी शुभ-अशुभ फल होते हैं.
शनि का पाया कैसे पता लगाएं
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शिशु का जन्म होता है तो उस समय ग्रहों गणना करने पर कुंडली (Kundli) में चन्द्र राशि से शनि (Shani) जिस भाव में स्थित होते हैं, उसी के मुताबिक उसका पाया तय होता है. बच्चे के जन्म कुण्डली में चन्द्रमा तथा शनि को आधार बनाकर शनि के पाया तथा पाया के फलों का निर्धारण किया जाता है.
वहीं कुंडली (Kundli) में जन्म की राशि से शनि देव जिस भी भाव में विराजमान होते हैं, उसके अनुसार शनि का पाया (पाद) का विचार किया जाता है.
ज्योतिष अनुसार शनि गोचर (Shani Transit) में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 1, 6, 11 भाव में भ्रमण करते है. तो शनि के पाद स्वर्ण के माने जाते है. या फिर जन्म राशि से 2, 5, 9 वें भाव में गोचर करते है. तो रजत (चांदी) पाया व शनि का गोचर जन्म राशि से 3, 7, 10 वें भाव में होने पर ताम्रपाद (तांबा) कहलाते है. इसके अतिरिक्त शनि का जन्म राशि से 4, 8, 12 वें भाव में गोचर होना लोहे के पाद कहलाते है. इसके अतिरिक्त इसकी गणना करने के अन्य मत भी हैं.
शनि के चार पाये कौन-कौन से हैं (Shani Paya) |
1 | सोने का पाया |
2 | चांदी का पाया |
3 | तांबे का पाया |
4 | लोहे का पाया |
शनि के 'पाया' काल में मिलने वाला शुभ-अशुभ फल
- सोने का पाया (Sone Ka Paya): कुंडली के 1, 6 और 11वें भाव में जब शनि गोचर करें तो सोने का पाया कहा जाता है. इसमे व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. ऐसा व्यक्ति लोकप्रिय होता है. धन की कमी नहीं रहती है. व्यक्ति अच्छे कार्य करने वाला होता है.
- चांदी का पाया (Chandi Ka Paya): शनि कुंडली में 2, 5 और 9 वें भाव में हो तो यह चांदी का पाया कहलाता है. ये शुभ फल देने वाला बताया गया है. ऐसे व्यक्ति की लाइफस्टाइल बेहद लग्जरी होती है. ऐसा व्यक्ति कुशल और शौकीन होता है.
- तांबे का पाया (Tanbe Ka Paya) : 3, 7, 10वें भाव में शनि हो तो इस स्थिति को तांबे का पाया कहा जाता है. ये व्यक्ति को मिले जुले फल प्रदान करता है. व्यक्ति जितना परिश्रम करता है, उतना उसे फल मिलता है. ऐसे व्यक्ति को हर स्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए.
- लोहे का पाया (Lohe Ka Paya): कुंडली के 4, 8 और 12वें भाव में शनि विराजमान हों, तो इसे लोहे का पाया कहते हैं.ऐसा व्यक्ति बेहद परिश्रमी होता है. लोहे पाया जिन लोगों की कुंडली में हो वे नियम और अनुशासन जीवन यापन करें तो उन्हें कष्ट नहीं होता है. ऐसे व्यक्ति को कठोर परिश्रम करना चाहिए और आलास बिल्कूल भी नहीं करना चाहिए.
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