शनिदेव 23 मई 2021 से 141 दिन की वक्री गति आरंभ कर चुके हैं. शनिदेव की वक्री गति आरंभ होने के एक माह के अंदर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों निर्माण होना अत्यधिक प्रभाव रखने वाला है. 26 मई 2021 को खग्रास चंद्र ग्रहण का निर्माण हुआ है. 10 जूून 2021 को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का निर्माण होना है. शनि की वक्री गति और दो ग्रहणों का बनना विशेष खगोलीय घटनाओं में आते हैं. इस दौरान विभिन्न राशियों पर गहन ज्योतिषीय प्रभाव के साथ बड़े भौगोलिक घटनाक्रम उपस्थित हो सकते हैं.


ज्योतिष के अनुसार यह समय यात्राओं को टालने और सहजता से कार्य करते हुए आगे बढ़ने वाला है. अत्यधिक जोखिम लेने से सामान्य जनों को आगामी लगभग एक माह तक बचना चाहिए. जलीय यात्राओं से अधिक परहेज करने का प्रयास करें. इस दौरान उन जातकों को थोड़ा अधिक लाभ हो सकता है जिनकी कुंडली में शनिदेव वक्री अवस्था में विराजमान हैं. मार्गी शनिदेव वाले जातक धैर्य और विश्वास से आगे बढ़ें.


10 जून 2021 को सूर्य ग्रहण के दिन शनैश्चर अमावस्या है. शनि जयंती के रूप में विश्वभर में इसे मनाया जाता है. शनि जयंती को सूर्य ग्रहण होने से यह ग्रहण शनिदेव के प्रभाव को बढ़ाने वाला है. कुंडली में शनि बलवान और योगकारक होने पर लोगों को सूर्य ग्रहण के उपरांत लाभ की स्थिति निर्माण होगी. इससे पूर्व सभी को सावधानी बरतने की आवश्यकता है.


शनिदेव 11 अक्टूबर 2021 तक वक्री रहेंगे. इस समय तक साढ़े साती और ढैया वाले जातक अतिरिक्त सतर्कता बरतें. शनि मंत्रों का जाप करें. तिलहनों और काली वस्तुओं का दान करें. गरीबों और मजबूरों की सेवा करें.