Shani Dev: नियमित या विशेष अनुष्ठान सभी तरह के पूजा-पाठ में फल, फूल और भोग आदि के लिए पात्रों का प्रयोग किया जाता है. लेकिन धार्मिक कार्यों के लिए कुछ विशेष धातुओं के बर्तनों का इस्तेमाल होता है. आमतौर पर पूजा-पाठ में प्लास्टिक, लोहा, स्टील या एल्युमिनियम धातु की चीजों का प्रयोग वर्जित माना जाता है. वहीं पीतल, कांसा, तांबा, चांदी और स्वर्ण जैसे धातुओं से बने बर्तनों को शुद्ध माना जाता है. लेकिन शुद्ध होने के बावजूद भी शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. आखिर इसका क्या कारण है आइये जनते हैं-


शनि देव की पूजा में तांबा क्यों वर्जित


देवी-दवताओं की पूजा के लिए तांबा को सर्वश्रेष्ठ धातु माना जाता है. इस धातु के बर्तनों का प्रयोग पूजा में करना बहुत शुभ होता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. लेकिन शनि देव की पूजा में भूलकर भी तांबे के बर्तनों का प्रयोग न करें, वरना शनि महाराज की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. इसका कारण यह है कि तांबा भगवान सूर्य से संबंधित धातु है और सूर्य-शनि में पिता-पुत्र का संबंध होने के बावजूद भी शत्रुता का भाव है. इसलिए शनि देव की पूजा में तांबे के पात्र का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.


वहीं धार्मिक अनुष्ठान में लोहे धातु के बर्तनों को अपवित्र माना जाता है. क्योंकि लोहे के बर्तन में जंग लग जाते हैं. इसलिए पूजा-पाठ में लोहे के बर्तन का प्रयोग नहीं होता. लेकिन केवल शनि देव की पूजा में आप लोहे के बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं.


शनि देव की पूजा में रखें ये सावधानियां


शनि देव की पूजा में कभी लाल रंग के फूल या फल भी नहीं चढ़ाने चाहिए. यहां तक की लाल रंग के वस्त्र भी शनि देव को न चढ़ाएं. इसका कारण यह है कि लाल मंगल ग्रह का रंग है जोकि शनि के शत्रु ग्रह हैं. शनि देव को काला और नीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए शनि देव की पूजा में काला या नीले रंग के फल-फूल चढ़ाएं.


शनि देव की पूजा प्रतिमा के ठीक सामने खड़े होकर या उनकी आंखों में आंखे डालकर न करें. ऐसा करने से आप पर शनि देव की बुरी दृष्टि पड़ सकती है. इसके साथ ही अस्वच्छ अवस्था में भी शनि महाराज की पूजा हीं करनी चाहिए.


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