न्यायदेव शनिदेव ग्रहों में दंडाधिकारी की भूमिका निभाते हैं. भाग्य की रक्षा करते हैं. संवर्धन करते हैं. लोगों को उनके लिखे के अनुसार फल देने में सहायक होते हैं. शनिदेव की वक्री गति और वक्र दृष्टि से सभी सतर्क रहते हैं. शनिदेव की दृष्टि व्यक्ति के जीवन में उथल पुथल के साथ भविष्य को बेहतर बनाने में सहायक होती है.


शनिदेव की वक्री गति उनकी उल्टी चाल की सूचक है. उल्टी चाल के लिए सूर्यदेव जिम्मेदार होते हैं. सूर्यदेव की गति से शनिदेव की गति 30 गुना कम होती है. उन्हें शनैश्चर इसीलिए पुकारा जाता है. सूर्यदेव से शनिदेव जब 120 डिग्री से अधिक दूरी पर होते हैं तो शनिदेव की चाल उल्टी हो जाती है. वे जिस राशि में होते हैं वहां पीछे की ओर गति करने लगते हैं. इससे प्रत्येक व्यक्ति भाग्य कारक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं.


सूर्यदेव अपनी चाल के अनुसार शनिदेव से आगे या पीछे की ओर 120 डिग्री दूर होते हैं तो ये शनिदेव वक्री होते हैं. 23 मई को सूर्यदेव शनिदेव से 120 डिग्री से आगे की ओर बढ़ेंगे. 23 मई से 2021 से शनिदेव पुनः वक्री होने वाले हैं. वे मकर राशि में 23 मई से 11 अक्टूबर 2021 तक वक्री गति से भ्रमण करेंगे.


इस दौरान वे धनु मकर कुंभ मिथुन और तुला राशि को सर्वाधिक प्रभावित करेंगे. इन राशि के जातकों अभी से शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय अपनाना चाहिए. शनिदेव के सर्वाेत्तम उपायों में जनता की सेवा है. असहायों और पीड़ितों की मदद से शनिदेव शीघ्रता से प्रसन्न होते हैं.