Shani Dev Rudraksha: न्यायाधीश कहलाने वाले शनि को ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना गया है. जीवन में परेशानियों से मुक्त रहने के लिए हर कोई शनि देव की कृपा पाना चाहता है. मान्यता है कि हनुमान जी और भोलेनाथ की भक्ति करने वालों को शनि देव परेशान नहीं करते. शास्त्रों में शिव जी की प्रिय वस्तु रुद्राक्ष को भी शनि दोष को शांत करने वाला माना गया है. रुद्राक्ष अर्थात रुद्र का अक्ष. ये भोलेनाथ के नेत्रों से आंसू के रूप में प्रकट हुआ एक फल है. रुद्राक्ष धारण करने या इसकी माला से मंत्र जाप करने पर ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है. आइए जानते है शनि की बाधाओं को दूर करने के लिए कौन सा रुद्राक्ष इस्तेमाल करना चाहिए.


14 मुखी रूद्राक्ष (14 Mukhi Rudraksha)


शास्त्रों के अनुसार 14 मुखी रुद्राक्ष शनि के कष्टों का बहुत शक्तिशाली उपाय है. चौदह मुखी रुद्राक्ष के स्वामी हनुमान जी है और बजरंगबली के भक्त को शनि देव कभी नहीं सताते. 14 मुखी रुद्राक्ष पहनने से विपत्तियों से छुटकारा मिलता है. जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही है वह चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण कर शनि के कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं. यह रुद्राक्ष तुरंत अपने परिणाम देना शुरू करता है और इसलिए देव मणि नाम है. इसे पहनने से पहले जानकार की सलाह लें.


10 मुखी रुद्राक्ष (10 Mukhi Rudraksha)


दस मुखी रुद्राक्ष की मदद से शनि की बाधाओं को दूर किया जा सकता है. शनि की कृपा से ही रोजगार मिलता भी है और चलता भी है लेकिन अगर शनि पीड़ादायक हो तो जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है और कई तमाम संकट आड़े आने लगते हैं. कहते हैं इस पीड़ा से पार पाने के लिए एक साथ 3 दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है. इसे शनिवार के दिन लाल धागे में परोकर गले में पहनें.


5 मुखी (5 Mukhi Rudraksha)


कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या जीवन को कष्टदायक बना देती है. व्यक्ति को स्वास्थ, नौकरी, व्यापार, वैवाहिक जीवन, संतान संबंधी दिक्कतों से जूझना पड़ता है. कई बार शनि की पीड़ा इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपना सब कुछ खो बैठता है. जब कुंडली में शनि की स्थिति खराब हो तो व्यक्ति को गले में पांच मुखी रूद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए. इसे पहनने से पहले शनि के मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नम: और शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय का एक माला जाप करें फिर शनिवार या सोमवार को धारण करें.


रुद्राक्ष धारण करने के नियम (Rudraksha Wearing Rules)



  • किसी भी रुद्राक्ष को जानकार की सलाह के बिना न पहनें. ये बहुत शुद्ध, पवित्र होता है. इसे धारण करने वालों को सात्विकता का अवश्य ध्यान रखना पड़ता है, तभी फल मिलेगा.

  • रुद्राक्ष को कलाई में 12, गले में 36 और हृदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए. इसे गले में धारण करना श्रेष्ठ माना गया है.

  • एक दाना लाल धागे में धारण कर सकते हैं लेकिन इसकी लंबाई ह्रदय तक होना चाहिए.


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