Saturn Transit in Aquarius Effect, Shani Gochar 2023: पंचांग के मुताबिक, शनि 17 जनवरी 2023 को ही अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश कर चुके हैं. ज्योतिष में शनि का कुंभ राशि में गोचर एक बहुत महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. अब जब ये अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में संचरण करना शुरू कर दिए हैं तो ये इसमें बहुत ही मजबूत स्थिति में हैं.


शनि कुंभ राशि में 29 मार्च 2025 तक विराजमान रहेंगे. इस दौरान भारत में लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में विधान सभा चुनाव होंगे. क्या शनि पिछली बार की भांति इस बार भी कुंभ राशि में रहकर अफरा-तफरी मचाएंगे या शांत रहेंगे? इसके साथ ही भारत एवं अन्य दूसरों पर शनि क्या प्रभाव डालेंगे? आइये जानें.


कुंभ राशि में शनि की क्या है स्थिति?  


पंचांग के अनुसार शनि 17 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश करने के 14 दिनों बाद यानि 30 जनवरी को कुंभ राशि में ही अस्त हो रहें हैं. उसके बाद 6 मार्च 2023 को शनि उदय होंगें तो शनि अपना प्रभाव दिखाना शुरू करेंगे.


इसके बाद 17 जून 2023 को यानी उदित होने के करीब 100 दिनों बाद फिर शनि कुंभ राशि में वक्री अवस्था में हो जाएंगे यानि उल्टी चाल से चलना प्रारंभ करेंगे. इससे सत्ता में बैठे लोगों को और उच्चाधिकारियों को तनाव देना शुरू करेंगे. यह स्थिति उनके मार्गी होने तक यानी 4 नवंबर 2023 तक बनी रहेगी.


1993 में कुंभ राशि में शनि गोचर का क्या हुआ था असर?


पंचांग के अनुसार 30 साल पहले 5 मार्च 1993 को शनि कुंभ राशि में प्रवेश किये थे. इनके कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही भारत में तहलका मचना शुरू हो गया. केवल 7 दिन बाद यानी 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों से केवल भारत ही नहीं पूरा विश्व कांप गया था.


1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के साए में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ा दल होने के बाद भी सरकार नहीं बना सकी. देश दुनिया की ऐसी ही अनेक घटनाओं के मद्देनजर, अब फिर शनि के कुंभ राशि में प्रवेश से गहरी उथल पुथल की आशंका बननी शुरू हो गई है क्योंकि भारत में 2024 में लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.


कुंभ राशि में शनि गोचर का भारत पर प्रभाव


एस्ट्रोलॉजर रुचि शर्मा के मुताबिक, कुंभ राशि में शनि गोचर से भारत का विश्व में वर्चस्व बढ़ेगा. यातायात और परिवहन के क्षेत्र में विकास होगा. तकनीक पर नए शोध सामने आयेंगे. शिक्षा के क्षेत्र में विकास के पंख लगेंगे. प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं से भारत सहित पूरे संसार को दो-चार होना पड़ेगा. उत्तर और उत्तर पूर्वी भाग से देश को तनाव मिलेगा. गर्मी का प्रकोप लोगों को परेशान कर देगा. भूकंप और बीमारियों से देश प्रभावित होगा.


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