एस्ट्रो टिप्स: शनि देव जिन लोगों की कुंडली में अशुभ स्थिति विराजमान हैं उनके लिए अवसर आने जा रहा है. ये अवसर इसी माह की 21 मार्च को आने वाला है. इस दिन शनि प्रदोष व्रत है.


वैदिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष का संबंध भगवान शिव यानि भोलेनाथ से है. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. खास बात ये है कि इस दिन शनिवार होने के कारण भगवान शिव के साथ साथ शनि देव की भी पूजा की जाती है. इस पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं और अपनी अशुभता को कम करते हैं. जिससे जीवन में आने वाले संकट कम होते हैं.


जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या शनि ढैय्या चल रही है उन्हें शनि प्रदोष के दिन शनि की और भगवान शिव की पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए. इस दिन शनि का दान भी करना चाहिए. इसके अलावा जिन लोगों को मानसिक तनाव है या फिर जोड़ों, पैरों में दर्द है उन्हें भी इस दिन शनि की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से उन्हें आराम मिलेगा.


प्रदोष काल का अर्थ


सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का समय ही प्रदोष काल कहलाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से 96 मिनटों का होता है. इस काल में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.


शनि प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि


इस दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. व्रत के दौरान स्वच्छता रखें. मन में अच्छे विचार लाएं. ईष्र्या और दोष दूर रहें. भगवान का ध्यान करें और विधि पूर्वक व्रत को पूरा करें. पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए.


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