Shani Pradosh Vrat 2021: आज भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत है. शनिवार को होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष काल में विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि शिव जी की पूजा शनि की पीड़ा से भी मुक्ति दिला देती है. ज्योतिषियों के अनुसार शनि की शांति और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शनि प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. इस दिन शनि की दशा में सुधार करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके भी शिव भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आर्शीवाद पा सकते हैं. पुराणों में असाध्य रोगों और अकालमृत्यु से मुक्ति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. इस मंत्र को काफी ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है. 


महामृत्युंजय मंत्र  की उत्पति (Origin of mahamrityunjaya mantra)
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि मृकण्डु के पुत्र मार्कण्डेय का जीवनकाल मात्र 16 वर्ष का था. जब उन्हें ये बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव की अराधना करने के लिए शिवलिंग के पास बैठकर शिव पूजन शुरू कर दिया. यमराज जब मार्कण्डेय को लेने आए, तो उन्होंने शिवलिंग को बाहों में लपेट लिया और यमराज से न ले जाने की याचना की. लेकिन यमराज नहीं माने और उन्होंने मार्कण्डेय को जबरन शिवलिंग से अलग करने का प्रयत्न किया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और यम को मृत्यु दंड दे दिया. भगवान ने यम को इस शर्त पर जीवित किया कि ये बच्चा हमेशा जीवित रहेगा. इसके बाद से इस मंत्र की उत्पति हुई. 


इन बातों का रखें ध्यान (rules of chanting mahamrityunjaya mantra)


1. शास्त्रों में बताया गया है कि जाप करते समय मंत्रों के सही और स्पष्ट उच्चारण का बहुत महत्व बताया गया है. इसलिए जाप करते समय हमेशा मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए.


2. जाप करते समय ध्यान रखें कि माला से ही जाप करें, शास्त्रों में बताया गया है कि संख्याहीन जाप का फल प्राप्त नहीं होता. नियमित एक माला का जाप जरूर करके उठें.


3. दूसरे दिन के जाप पहले दिन के जाप से कम नहीं होने चाहिए. ज्यादा से ज्यादा कितने भी जाप किए जा सकते  हैं.


4. कहते हैं कि मंत्रों का उच्चारण धीमी आवाज में आराम से करना चाहिए. स्वर होठों से बाहर नहीं आने चाहिए. 


5. महामृत्युंजय मंत्रों का जाप केवल रुद्राक्ष की माला से ही किया जाना चाहिए. जाप करते समय माला को गौमुखी में ढककर रखना  न भूलें.


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