इन मंदिरों में पूजा करने से शनि देव की अशुभता होती है दूर, जानें सबसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में
शनि को ज्योतिष शास्त्र में न्यायाधीश माना गया है. शनि व्यक्ति के कर्माें के आधार पर फल देते हैं. शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति को मृत्युतुल्य कष्ट प्रदान करते हैं.
Shani Mandir: शनि सूर्य के पुत्र हैं लेकिन अपने पिता से शनि का बैर है. अच्छे कर्म करने और नित्य प्रार्थना करने से शनि की अशुभता दूर होती हैं. वहीं देश में शनि देव के प्राचीन मंदिर हैं. यहां पूजा और दर्शन करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं शनि देव के मंदिरों के बारे में.
शनि शिंगणापुर मंदिर शनि देव का यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पूजा करने और तेल चढ़ाने से शनि प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाले कष्टों को दूर करते हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले शिंगणापुर गांव में बाढ़ आ गई. बाढ़ के पानी से एक काला पत्थर गांव के एक पेड़ से अटक गया. ग्रामीणों ने इस पत्थर को पेड़ से हटाने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो सके. फिर एक ग्रामीण बल का प्रयोग किया तो पत्थर से लाल रक्त बहने लगा. यह देख ग्रामीण घबरा गए. फिर शनि देव ने उस व्यक्ति को रात में सपना दिया और कहा कि मेरे इस पत्थर की स्थपना मामा भांजे द्वारा करवाओ. अगले दिन ग्रामीणों के सहयोग से ऐसा ही किया गया. जहां पर पत्थर को स्थापित किया गया वो स्थान शनि मंदिर कहलाया. इस गांव की एक विशेषता है. यहां कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगता है. मान्ययात है कि इस गांव की रक्षा स्वयं शनि देव करते हैं और जो भी कोई गलत कार्य करता है उसे वे दंड देते हैं.
कोकिलावन शनि मंदिर कोसीकलां शनि देव का यह मंदिर मथुरा के कोसीकलां में स्थित है. इस मंदिर की मान्यता भी शनि शिंगणापुर की तरह ही मानी गई है. यह हर शनिवार को बड़ी संख्या में लोग शनि देव के दर्शन के लिए आते हैं. जिन लोगों को शनि के कारण जीवन में परेशानी आ रही है उन्हें इस मंदिर में एक बार दर्शन जरूर करना चाहिए. ऐसी मान्यता है. माना जाता है कि यहां पर शनिदेव ने श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे, इसलिए इस स्थान को कोकिलावन के नाम से भी जाना जाता है.
शनि मंदिर उज्जैन यहां मंदिर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है. यह मंदिर बेहद प्राचीन है. बताया जाता है कि यह मंदिर करीब दो हजार साल पुराना है. एक पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर की स्थापना स्वयं राजा विक्रमादित्य ने कराई थी. शनि देव के इस प्राचीन मंदिर में शनि शिव के रूप में विराजमान हैं, इसके अतिरिक्त कई अन्य शनि प्रतिमा स्थापित हैं. जिन्हें शनि ढैय्या के नाम से जाना जाता है. शनि की ढैय्या जिन पर चल रही होती है वे लोग यहां आकर पूजा करते हैं. ऐसी धारणा है कि यहां पूजा करने से शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
शनि मंदिर तमिलनाडु तमिलनाडु के तिरुनल्लर में कावेरी नदी के तट पर एक छोटा से गांव में शनि देव का प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर तमिलनाडु के नवग्रह मंदिरों में से एक है. शनिदेव के साथ इस मंदिर में भगवान शिव भी विराजमान हैं.
शनि मंदिर इंदौर शनि देव का यह सिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित है. यह एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर की खास बात ये हैं कि यहां पर महिलाएं शनिदेव को तेल अर्पित करती हैं. इस मंदिर में शनि का सोलह श्रृंगार किया जाता है.
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