Shaniwar Puja: शनि देव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. इन्हें आदि देव शंकर से न्याय के देवता का आशीर्वाद मिला है. यह लोगों को उनके कर्म फल के अनुसार फल प्रदान करते हैं. शनि देव स्वभाव से अत्यंत सरल किंतु व्यवहार से क्रोधी हैं. शनिदेव की चाल बहुत धीमी होने के कारण यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई वर्ष का समय लेते हैं. शनि की साढ़ेसाती ढैय्या और महादशा से मनुष्य के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे बचने के लिए लोगों को शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनिदेव की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. गलतियां करने पर शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं, और पूजा का उचित लाभ जातक को नहीं मिलता है.


शनि पूजा में करें ये गलतियां



  1. शनिदेव की पूजा में लाल रंग के किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इससे शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं. और शनि की छाया पड़ने पर मनुष्य का जीवन कष्टमय हो जाता है. सूर्य और मंगल दोनों को ही शनिदेव अपना दुश्मन समझते हैं. अतः लाल रंग की किसी भी सामग्री का प्रयोग शनिवार के दिन शनि की पूजा में नहीं करना चाहिए.

  2. शनिदेव की पूजा करते समय शनि की आंखों की तरफ नहीं देखना चाहिए. इससे उनकी कुदृष्टि से बचा जा सकता है. क्योंकि शनिदेव की कुदृष्टि हमारे जीवन की उन्नति में बाधक बन जाती है. इसलिए पूजा के समय शनिदेव के पैरों की तरफ देखना चाहिए.

  3. शनि देव को काला और नीला रंग अत्यधिक प्रिय है. इसलिए इस रंग को छोड़कर बाकी किसी भी रंग से शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा नहीं करनी चाहिए. इन्हें लाल, पीले और सफेद फूल नहीं चढ़ाना चाहिए. इन्हें सफेद तिल, चावल नहीं चढाना चाहिए.

  4. शनिदेव की पूजा करते समय आपका मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए. किसी और दिशा में मुंह करके शनिदेव की पूजा नहीं करनी चाहिए, इससे शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं.

  5. शनि देव जी सूर्य को अपना शत्रु समझते हैं, इसीलिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के पश्चात ही करनी चाहिए.



 



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