Shani Dev, Mahima Shani Dev Ki, Story Of Shani: शनिदेव ने यम को मां छाया का अपमान करने के लिए जंगल में ही सजा दे दी थी, दोनों के बीच टकराव को रोकने के लिए खुद मां छाया को आना पड़ा. सूर्यदेव की इजाजत से शनि को सूर्यमहल में जगह तो मिल गई, लेकिन सूर्यदेव के पुत्र यम के मन में शनि के प्रति द्वेष और ईष्या खत्म नहीं हुई.
बड़े भाई यम और बहन यमी अक्सर उन्हें अपमानित करने के लिए रास्ते खोजते रहते थे. यम शनि को सूर्यमहल से भगाने के लिए तरह-तरह के तरीके तलाशते थे. इसी दौरान एक दिन यम ने शनिदेव पर पिता सूर्य का अपमान करने का आरोप लगाकर युद्ध की चुनौती दी. देखते ही देखते दोनों के बीच फिर जोर आजमाइश होने लगी, तभी वहां मां छाया आ गईं. उन्होंने दोनों इस तरह लड़ते हुए देखकर फटकार लगाई और एक दूसरे के साथ भाइयों की तरह प्रेम से नहीं रहने पर खुद सूर्यलोक छोड़ देने की चेतावनी दे डाली.
पिता और बड़े भाई यम के साथ टकराव से मां छाया को नाराज देखकर शनिदेव व्यथित हो गए और मां को वचन दिया कि वह कभी भी पिता या बड़े भाई से टकराव नहीं करेंगे. वह पिता से क्षमा मांगने के लिए तैयार हो गए. मगर यम का उनके प्रति दुराव खत्म नहीं हुआ.
खेलने के बहाने यम ने किया अपमानित
यम को किसी भी रूप में शनि की सूर्यलोक में मौजूदगी मंजूर नहीं थी. वह शनिदेव के पिता को कलंकित करने का आरोपी मानते हुए हर क्षण अपमानित करने में रहे. मां की फटकार के बाद उन्होंने भले ही दिखावे के तौर पर मित्रता कर ली, लेकिन इसकी आड़ में वह उन्हें नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते रहे. पौराणिक मान्यता है कि इस क्रम में एक दिन सूर्यलोक के अन्य देवपुत्रों के साथ यम ने शनि को खेल के लिए आमंत्रित किया. इस दौरान उन्हें असुर का प्रतीक बनाकर दुर्व्यवहार और अपमानित किया. मगर मां को दिए वचन से शनिदेव ने कोई विरोध नहीं किया. यह देखकर व्यथित उनके वाहन कौए ने फिर मां छाया को सूचना दे दी. छाया वहां शनि की दीनहीन हालत देखकर द्रवित हो उठीं और उन्होंने इस दुव्यर्वहार के लिए यम और यमी को कड़ी फटकार लगाई.
ये भी पढ़ें
Mahima Shanidev ki :मां छाया ने सूर्यदेव के सामने रख दी ऐसी शर्त, श्राप मुक्त हो गए शनि