Mahima Shanidev Ki: सूर्यलोक (SuryaLok) में कर्मफलदाता शनिदेव की मौजूदगी के बारे में देवताओं के साथ दानवों को भी पता चल चुका था. मगर सबसे पहले इस शक्ति पर अपना नियंत्रण करने के लिए उनमें होड़ लग चुकी थी. छल-कपट, भय दिखाकर हर तरह से देव और दानव शनिदेव को अपने कब्जे में लेने के प्रयास करने लगे. सबसे पहले देवताओं ने गंधर्वों को जंगल में भेजा, जहां उन्हें कल्पवृक्ष काटने की सजा शनिदेव ने पैर तोड़कर दी. यह खबर जब देवताओं के साथ दानवों तक पहुंची तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने परमशक्तिशाली राक्षस दमनाथ (Damanath) को बीच भोजन से उठाकर सूर्यलोक के जंगल में शनिदेव को पकड़ने के लिए भेज दिया.


दैत्य को चुनौती देकर कौए की बचाई जान
दानवलोक में पेट भर भोजन नहीं कर पाने से तिलमिलाए दमनाथ ने जंगल में दाखिल होने से पहले ही एक कौए को खाने का प्रयास किया लेकिन उसकी चीख पुकार सुनकर खुद शनिदेव वहां आ गए. उन्होंने उसे निर्दोष कौए को छोड़ देने के लिए कहा लेकिन दमनाथ ने कौए को छोड़कर शनिदेव पर हमला करने का प्रयास किया. उन्हें डराने के लिए पूरे सूर्यलोक को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करने लगा, यह देखकर शनिदेव ने उसे कर्म का फल देने के लिए समझाने का प्रयास किया, लेकिन दमनाथ दंभ में चूर होकर उनका उपहास करते हुए उत्पात मचाने लगा. इस पर शनिदेव ने उसे मुंह की ज्वाला से भस्म कर दिया. उसकी चीख सुनकर पूरे दानवलोक में दहशत फैल गई. उसके धराशायी होते ही पहाड़ और सागर में प्रलय आ गई, सभी थर-थर कांप उठे.


कौए ने सवारी बनकर शनिदेव को पहुंचाया सूर्यलोक
मां छाया के जंगल में लौटने का वक्त हो चुका था. ऐसे में जंगल पहुंचना जरूरी हो गया. तभी कौए ने शनिदेव का उपकार चुकाने के लिए उन्हें अपनी पीठ पर बैठाकर जंगल के लिए उड़ चला. तब तक मां छाया जंगल में शनि से मिलने लौट चुकी थी. इसी बीच शनिदेव भी पहुंच गए, जिससे मां को दानव वध का पता नहीं चला.


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