शनिदेव वर्तमान में मकर राशि में भ्रमण कर रहे हैं. वे यहां स्वयं की राशि में होकर हर्षित हैं. सभी पर कृपा बरसाने वाले है. इसी राशि में वे श्रवण नक्षत्र में वर्तमान में बने हुए हैं. शनि के गोचर के वर्तमान नक्षत्र श्रवण का नक्षत्रों के क्रम में 20वां क्रमांक है. इस क्रमांक में व्यक्ति अपने जन्म नक्षत्र का क्रमांक जोड़े. जैसे- नक्षत्रों के क्रम में पहला नक्षत्र अश्विनी है. इस प्रकार अश्विनी का नक्षत्र क्रमांक 1 है.
शनिदेव के वर्तमान गोचर के नक्षत्र क्रमांक 20 और जन्म नक्षत्र के क्रमांक 1 को जोड़ दे. इस प्रकार संख्या आती 21 है. इसमें 4 अंक का भाग दें. भाग के बाद शेष बची संख्या से सोने चांदी तांबा और लोहे के पाए का पता चलता है.
1 अंक के लिए पाया है - सोना
2 अंक के लिए पाया है - लोहा
3 अंक के लिए पाया है - तांबा
4 अंक के लिए पाया है - चांदी
उक्त गणना में 1 अंक शेष बचता है. अर्थात् शनिदेव सोने के पाए में हैं. यह पाया शनिदेव की कृपा से सुख संपत्ति और भौतिक सुविधाओं को देने वाला है. इसी प्रकार लोहे का पाया आने पर कष्ट, पीड़ा और धननाश का संकेत मिलता है. तांबे के पाए में शनि का प्रभाव सम रहता है. इस पाए में हानि-लाभ का अधिक विचार नहीं होता है. चांदी का पाया सर्वाेत्तम माना जाता है. इस पाए में शनिदेव होने पर सुख सौभाग्य और शांति समृद्धि का फल देते हैं.