शनिदेव यूं तो सभी के प्रति न्यायशील और दयालु होते हैं. नैतिक रूप से सबल व्यक्ति को करियर कारोबार में सहयोगी हैं. निजी जीवन में शुभता भरते हैं. वास्तु में शनिदेव की कृपा से पश्चिम दिशा को कलियुग में महत्वपूर्ण माना जाने लगा है.


पश्चिम मुखी दुकान ऑफिस और व्यवसायिक प्रतिष्ठान शनि के प्रभाव से सफलता में सहायक हैं. ऐसे भवन जिनके सामने भवन हों और वे पश्चिम मुखी हों तो और अधिक प्रभावी बन जाते हैं. अर्थात् जब भी व्यवसाय के लिए भूमि या भवन का चयन करें तो केवल उत्तर और पूर्व को ही प्राथमिकता में न रखकर पश्चिममुखी पर भी भरपूर विचार करें. इनमें सफलता का प्रतिशत बेहतर हो सकता है.


शनि को जनता का कारक माना जाता है. पश्चिम मुखी भवनों में देर शाम तक आकाशीय आभा का प्रभााव बना रहता है. बदलते परिवेश और जीवन शैली में शाम अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है. ऐसे में वास्तु की दृष्टि से पश्चिम दिशा को ढलते सूरज की दिशा मानकर कमजोर आंकना उचित नहीं समझा जा सकता है.


ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार पश्चिम दिशा में दुकानों का होना वास्तु सम्मत है. आज के दौर में शाम से देर शाम तक कामकाज होता है. ऐसे में यह दिशा और प्रभावी हो जाती है. शनि छाया के पुत्र हैं. शाम को छाया का प्रभाव बढ़ जाता है. यह शनि की सबलता बढ़ाता है. ऐसे में पश्चिम दिशा को बल मिलता है.