Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा की रात में करें ये उपाय, लक्ष्मी जी का मिलेगा आर्शीवाद
Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में विशेष महत्व दिया गया है. शरद पूर्णिमा का लोग पूरे साल इंतजार करते हैं. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा क्या है महत्व आइए जानते हैं.
Sharad Purnima 2020 Date: पंचांग के अनुसार 30 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा, कोजोगार पूर्णिमा, कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, कमला पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की शाम लक्ष्मी जी भम्रण पर निकलती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं वहीं इस दिन किए जाने वाले उपाय से जीवन में धन की कमी दूर होती है.
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा से ही हेमंत ऋतु का आरंभ होता है. यानि सर्दी आरंभ होती है. शरद पूर्णिमा का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित है. इसीलिए इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा का विधान है.
शरद पूर्णिमा की रात आसमान से गिरती हैं अमृत की बूंदें पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में आसमान से अमृत की बूंदे गिरती हैं. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है. इस दिन खीर बनाकर चांदनी रात में आसमान के नीचे रखने की भी परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि अमृत की बूंदे खीर में गिरती हैं अगले दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. शरद पूर्णिमा के दिन व्रत भी रखा जाता है.
शरद पूर्णिमा व्रत मुहूर्त 30 अक्टूबर 2020 को 17:47:55 से पूर्णिमा आरम्भ 31 अक्टूबर 2020 को 20:21:07 पर पूर्णिमा समाप्त
लक्ष्मी जी को करें प्रसन्न शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा बहुत ही फलदायी मानी गई है. पूर्णिमा की शाम मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं और आपने भक्तों को आर्शीवाद देती हैं. शरद पूर्णिमा की शाम को घर के मुख्य द्वार पर घी के दीपक जलाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि घर के द्वार पर दीपक जलता है, उस घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं.
श्रीकृष्ण ने रचाया था महारास पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में ही भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर गोपियों के साथ महारास रचाया था.
शरद पूर्णिमा के उपाय शरद पूर्णिमा पर की जाने वाली पूजा जीवन में धन की कमी को दूर करने वाली मानी गई है. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और लक्ष्मी जी की आरती का पाठ शाम के समय करना चाहिए. इस दिन स्वच्छता के नियमों का विशेष पालन करें. क्योंकि मां लक्ष्मी को स्वच्छता अधिक प्रिय है.
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