Sharad Purnima Moonrise Time: शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सभी पूर्णिमाओं में से सबसे महत्वपूर्ण है. इस दिन रात के समय खुले आसमान के नीच खीर का रखा जाता है. कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. इतना ही नहीं, आज के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और उसकी दूधिया रोशनी से पूरी धरती खिल उठती है. इस दिन रात के समय खीर को आसमान के नीचे रखा जाता है, जिससे वो अमृत बन जाती है. शरद पूर्णिमा की रात को आसमान से अमृत की वर्षा होती है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था. समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी आज के दिन प्रकट हुई थीं. आज की रात वो धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. 


शरद पूर्णिमा अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. 19 अक्टूबर के दिन यानि आज ही शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है. आज की रात लोग चावल, दूध और शक्कर जो कि लक्ष्मी जी की प्रिय चीजें हैं से खीर बनाकर आकाश के नीचे रखते हैं. और अगले दिन सूर्योदय के बाद लक्ष्मी मां को भोग लगाकर परिवार के लोगों में प्रसाद की तरह बांट देते हैं. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. रातभर देवी लक्ष्मी का जागरण किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन चंद्र देव की भी अराधना की जाती है. इसिलए आज के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, मानसिक शांति भी मिलती है. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात पूजा का सही मुहूर्त के बारे में. 


कोजागिरी पूर्णिमा 2021 पूजा शुभ मुहूर्त


अगर आप भी शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो इस शुभ मुहूर्त में पूजा करके मां की कृपा पा सकते हैं. शरद पूर्णिमा पूजा 19 अक्टूबर को रात 11:41 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे के बीच तक किया जाना शुभ होगा.


शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय 


19 अक्टूबर की शाम 05:20 बजे ही चंद्रोदय हो जाएगा. 


पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 19 अक्टूबर की शाम 07:03 बजे से 
पूर्णिमा तिथि समाप्ति 20 अक्टूबर की रात 08:26 बजे तक 


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