Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि में पूजा से पहले जरूर स्थापित करें कलश, जानें सामग्री, विधि और महत्व
Kalash Sthapna Samagri: नवरात्रि के 9 दिनों में माता के नौ रुपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है. इन दिनों व्रत रखकर उनकी उपासना करते हैं. इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर, 2021 गुरुवार से शुरु होंगे
Kalash Sthapna Vidhi: नवरात्रि (navrati 2021) के 9 दिनों में माता के नौ रुपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है. माता के भक्त इन दिनों व्रत रखकर उनकी उपासना करते हैं. इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर, 2021 गुरुवार से शुरू होंगे और इनका समापन 15 अक्टटूबर को होगा. 9 दिन तक चलने वाले माता के नवरात्रों का भक्तों को बेसर्बी से इंतजार होता है. गुजरात से लेकर बंगाल तक मां दूर्गा (durga puja in bengal) को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है. बाजारों की रौनक इन दिनों देखने लायक होती है. कहीं गरबा खेला जाता है तो कहीं सिदूंर. ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और पूजा आदि का भी खूब महत्व है. कहते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान के साथ घटस्थापना शुभ माना जाता है. ऐसे में पूजा के समय भूले से की गई गलती आपकी सारी मेहनत पर पानी फेर सकती है. चलिए जानते हैं कैसे करनी चाहिए कलश स्थापना और कलश सामग्री के बारे में.
कैसे करें कलश स्थापना (kalash sthapna vidhi)
नवरात्रि की पूजा का आरंभ करने से पहले कलश स्थापना करना जरूरी होता है. कहते हैं कि कलश स्थापना के बिना पूजा का पूरा फल नहीं मिलता. नवरात्रि की पूजा में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि कलश को विष्णु का रूप माना जाता है. इसलिए नवरात्रि से पहले घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना भी जरूरी होता है. कलश स्थापना से पहले मंदिर की साफ सफाई कर लें और इसके बाद लाल कपड़ा बिछाएं. तांबे या मिट्टी की कलश स्थापना की जाती है, जिसे लगातार 9 दिनों तक एक ही स्थान पर रखा जाता है. कलश में गंगा जल या स्वच्छ जल भर दें. अब इस जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का डालें. इसके बाद कलश के किनारों पर 5 अशोक के पत्ते रखें और कलश को ढक्कन से ढक दें. एक नारियल पर लाल कपड़ा या लाल चुन्नी लपेटें. चुन्नी या कपड़े के साथ इसमें कुछ पैसे भी लपेट दें. अब नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र या मोली से बांधें. इसे तैयार करने के बाद चौकी या जमीन पर जौ वाला पात्र (जिसमें आप जौ बो रहे हैं) रखें. अब जौ वाले पात्र के ऊपर मिटटी का कलश और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रखें. आपकी कलश स्थापना हो चुकी है.
कलश स्थापना के लिए सामग्री (kalash sthapna samagri)
जौ बोने के लिए मिटटी का पात्र
साफ मिट्टी, मिटटी का एक छोटा घड़ा
गंगा जल
सुपारी
1 या 2 रुपए का सिक्का
आम की पत्तियां
अक्षत या कच्चे चावल
मोली या कलावा या रक्षा सूत्र
जौ (जवारे)
इत्र (वैकल्पिक)
फूल और फूल माला
नारियल
लाल कपड़ा या लाल चुन्नी
दूर्वा घास
कलश स्थापना का महत्व (kalash sthapna importance)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि और मगंलकामनाओं का प्रतीक माना गया है. कहते हैं कि कलश के मुख में भगवान विष्णु जी का निवास होता है. कलश के कंठ में रुद्र और मूल में ब्राह्मा जी समाए हैं. वहीं, कलश के मध्य में दैवीय शक्तियों का निवास होता है इसलिए नवरात्रि के शुभ दिनों में कलश स्थापना करना जरूरी और शुभ होता है. कलश स्थापना के दौरान कलश के चारों ओर जौ बोए जाते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि सृष्टि की शुरुआत के समय पहली फसल जौ ही थी इसलिए इसे पूर्ण फसल कहा जाता है. और यही कारण है कि ये हवन के समय देवी-देवताओं को चढ़ाई जाती है.
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