Navratri 2023 Maa Kalratri: महासप्तमी पर इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा, शनि देव नहीं करेंगे परेशान
Maa Kalratri Puja: शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी 21 अक्टूबर 2023 को है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा से काल का भय खत्म होता है. जानें मां कालरात्रि का भोग, मंत्र और पूजा विधि
Shardiya Navratri 2023 Day 7th, Maa Kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन देवी दुर्गा की 7वीं शक्ति देवी कालरात्रि की उपासना की जाती है. पौराणिक मान्यता है कि मां कालरात्रि असुरी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी मानी जाती है.
मां काली की तरह ही देवी कालरात्रि ने दुष्टों और राक्षसों के दमन के लिए ही यह संहारक अवतार लिया था. जो लोग शनि की महादशा से पीड़ित हैं उन्हें 21 अक्टूबर 2023 को मां कालरात्रि की उपासना करनी चाहिए, इससे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है. जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, महत्व और मंत्र
मां कालरात्रि की पूजा का मुहूर्त (Maa Kalratri Puja 2023 Muhurat)
सुबह का मुहूर्त - सुबह 06.25 - सुबह 07.50
रात्रि का मुहूर्त - 21 अक्टूबर 2023, 11.41 - 22 अक्टूबर 2023, 12.31
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का स्वरूप विकराल है और मां का रंग उनके नाम की तरह की घने अंधकार सा बिल्कुल काला है. ये त्रिनेत्रधारी हैं और इनके बाल खुले हुए हैं. मां कालरात्रि के गले में कड़कती बिजली की अद्भुत माला है. इनका हथियार खड्ग और कांटा है. गधे की सवारी करती मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है.
मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalratri Puja Vidhi)
मां कालरात्रि की पूजा रात्रि यानि निशिता काल मुहूर्त में करना शुभ माना गया है. मां कालरात्रि की पूजा में स्लेटी रंग के वस्त्र पहनें. देवी कालरात्रि को कुमकुम का तिलक लगाएं, लाल मौली, गुड़हल का फूल चढ़ाएं. देवी कालरात्रि का प्रिय भोग गुड़ माना जाता है. क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम: 'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ' का यथाशक्ति जाप करें. मान्यता है इस विधि से मां कालरात्रि की पूजा करने पर भक्तों की काल से रक्षा होती है. अकाल मृत्यु के भय नहीं रहता.
मां कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
- ॐ कालरात्र्यै नम:
- क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
- 'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'
- 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
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