Shardiya Navratri 2023 Highlight: शुरू हुआ घटस्थापना मुहूर्त, पूजा के लिए सिर्फ 46 मिनट, जानें सही विधि और नियम

Shardiya Navratri 2023: शक्ति की साधना 15 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी. इस साल शारदीय नवारत्रि पूरे 9 दिन की है. जानें घटस्थापना मुहूर्त, विधि, सामग्री और 9 दिन की पूजा की समस्त जानकारी

जागृति सोनी बरसले Last Updated: 15 Oct 2023 12:53 PM
Ghatsthapana Mantra: घटस्थापना मंत्र

कलशस्य मुखे विष्णु: कण्ठे रुद्र: समाश्रित:
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्य मातृगणा: स्मृता:

Shardiya Navratri 2023 Wishes: शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं


Navratri Ghatsthapana Significance: क्यों करते हैं कलश स्थापना ?

नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान किया जाता है. इसे कलश स्थापना कहते हैं. कहते हैं शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है. कलश पर रखा नारियल बीमारियों को दूर करता है. सारी रुकावटें दूर हो जाती है.

Navratri Ghatsthapana 2023 Time: 11.44 से शुरू होगी घटस्थापना, जानें सही विधि

घटस्थापना मुहूर्त - 11.44 - 12.30 तक रहेगा. 
घटस्थापना विधि - घटस्थापना से पहले मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं. माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी स्थापित करें. उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं. विधि अनुसार कलश स्थापना के साथ ही रोली, अक्षत, मोली, पुष्प आदि से देवी  के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं. अखंज दीप जलाएं और आरती करें.

Navratri 2023 Shopping: नवरात्रि के पहले दिन घर ले आएं ये चीजें

नवरात्रि के पहले दिन कुछ विशेष वस्तुएं घर लाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है. जैसे 16 श्रृंगार, शंखपुष्पी जड़, तुलसी का पौधा, श्रीयंत्र, सफेद वस्तु(चावल, दूध, दही, घी, सफेद वस्त्र)दक्षिणावर्ती शंख,  मोर पंख. मान्यता है नवरात्रि के दौरान इन चीजों की खरीदारी करने से धन-अन्न की कमी नहीं होती. 

Navratri Ghatsthapana Rules: घटस्थापना में ध्यान रखें ये बातें

1. घटस्थापना के लिए स्वच्छ मिट्‌टी और पानी का इस्तेमाल करें.
2. घटस्थापना की दिशा ईशान कोण रखें, गलत दिशा में घट स्थापित न करें.
3. घट को एक बार स्थापित करने के बाद उसे 9 दिनों तक हिलाएं नहीं.
4. जिस घर में घटस्थापना होती है वहां 9 दिन तक अंधेरा नहीं होना चाहिए, घर को कभी सूना न छोड़ें.
5 शौचालय या बाथरूम के आसपास घट स्थापित नहीं होना चाहिए.

मां शैलपुत्री का प्रिय रंग (Maa Shailputri Ka Priya Rang)

देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल भी देवी को अति प्रिय है. माना जाता है कि नवरात्रि के पहले दिन इन रंगों के कपड़े पहनने से माता रानी का विशेष कृपा बरसती है. 

मां शैलपुत्री की आरती (Maa Shailputri Ki Aarti)

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा मूर्ति .
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥


मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को .
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥2॥


कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥3॥


केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी .
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥4॥


कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती .
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥5॥


शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥


चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू.
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥7॥


भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी.
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥8॥


कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती .
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥9॥


श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै .
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥10॥

मां शैलपुत्री को लगाएं इन चीजों का भोग (Maa Shailputri Ka Bhog)

मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं. इस दिन भोग में मां को सफेद मिष्ठान और घी अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि मां दुर्गा को गाय के घी से बनी चीजें बेहद प्रिय हैं.  मां शैलपुत्री को गाय के घी से बने बादाम के हलवे से का भी भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा आप मिसरी या फिर बताशे का भी भोग मां को अर्पित कर सकते हैं.

मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)

कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री को धूप, दीप दिखाकर अक्षत, सफेद फूल, सिंदूर, फल चढ़ाएं. मां के मंत्र का उच्चारण करें और कथा पढ़ें. भोग में दूध, घी से बनी चीजें चढ़ाएं. हाथ जोड़कर माता की आरती उतारें. अनजाने में हुई गलतियों की माफी मांगे और हमेशा आशीर्वाद बनाए रखने की माता रानी से प्रार्थना करें.

नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें कलश स्थापना (Kalash Sthapna Vidhi)

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें. मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़क कर इसे शुद्ध कर लें. इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें. मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें. एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखें. घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान किया जाता है. 

कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा का शुभ मुहूर्त (Kalash Sthapna Ka Shubh Muhurt)

प्रतिपदा तिथि के दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में ही करना चाहिए. आज अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:38 मिनट से दोपहर 12:23 मिनट तक है. घट स्थापना के लिए यह मुहूर्त शुभ है. इसी मुहूर्त में मां शैलपुत्री की पूजा भी कर सकते हैं.

मां शैलपुत्री का मंत्र (Maa Shailputri Mantra)

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥


वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥


स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ऐसा है मां शैलपुत्री का रूप (Mata Shailputri Roop)

शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है पर्वत की बेटी. पौराणिक कथा के अनुसार माँ शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी और दक्ष की पुत्री थीं. मां शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. नंदी बैल इनकी सवारी है.

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज (Shardiya Navratri 2023 Day 1)

आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. आज नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा मां के नौ रूपों को की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. 

Kalash Sthapana Mantra: कलश स्थापना मंत्र

कलश स्थापित करते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। मान्यता है कि घटस्थापना करने से मां दुर्गा 9 दिन तक घर में वास करती हैं. परिवार में खुशहाली आती है.

Navratri 2023: कैसे करें घटस्थापना ?

नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें. मिट्‌टी के पात्र में खेत की स्वच्छ मिट्‌टी डालकर उसमें 7 प्रकार के अनाज बोएं. ईशान कोण में पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर कलश स्थापित करें. कलश में सिक्का, गंगाजल, सुपारी, अक्षत, दूर्वा डालकर उसपर आम के पत्ते लगाएं और जटा वाला नारियल रख दें. नारियल पर मौली बांधे. जौ वाला पात्र चौकी पर रखें, अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. अब गणपति, समस्त ग्रहों और मां दुर्गा का आव्हान करें.

Navratri Kalash Sthapana Niyam: कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ समय

रात के समय घटस्थापना नहीं करनी चाहिए।. घटस्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है.

Shardiya Navratri 2023 Choghadiya Muhurat: शारदीय नवरात्रि 2023 चौघड़िया मुहूर्त

चर (सामान्य) - सुबह 07:48- सुबह 09:14
लाभ (उन्नति) - सुबह 09:14 - सुबह 10:40
अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 10:40 - दोपहर 12:07
शुभ (उत्तम) - दोपहर 01.33 - दोपहर 02.59
राहुकाल - शाम 04.26 - शाम 05.52

Navratri 2023 Auspicious Yoga: बेहद शुभ योग में शुरू होगी नवरात्रि

15 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि के पहले दिन बुधादित्य योग, सुनफा योग, वेशी योग, लक्ष्मी योग का अद्भुत संयोग बन रहा है. इन शुभ योग में कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा का कभी न खत्म होने वाल फल मिलेगा.  

Shardiya Navratri 2023 Colour: 9 देवियों के 9 रंग देंगे विशेष लाभ

मां शैलपुत्री - नारंगी
मां ब्रह्मचारिणी - सफेद 
मां चंद्रघंटा - लाल
मां कूष्मांडा - नीला
मां स्कंदमाता - पीला
मां कात्यायनी - हरा
मां कालरात्रि - स्लेटी
मां महागौरी - बैंगनी
मां सिद्धिदात्री - मयूर वाला हरा रंग

Navratri Ghatsthapana Samagri: नवरात्रि घटस्थापना की सामग्री

कलश स्थापना के लिए कुल्हड़ (ज्वारे बोने के लिए), मौली, कलश के साथ ढक्कन, पांच आम के पत्ते, रोली, सिक्का, शुद्ध मिट्टी, लाल कपड़ा, हल्दी गांठ, गेहूं, गंगाजल और अक्षत. इसके साथ ही पीतल या मिट्टी का दीपक, जौ या गेहूं, जटा वाला नारियल, लौंग, इलायती, पान, इत्र, 7 तरह के अनाज, रूई बत्ती

Shardiya Navratri 2023 Tithi: शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां 

15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          
23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

Shardiya Navratri 2023 ghatsthapana muhurat: शारदीय नवरात्रि 2023 कलश स्थापना मुहूर्त

अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि: 14 अक्टूबर 2023, रात 11.24 - 15 अक्टूबर 2023, दोपहर 12.32
घटस्थापना दिन -   रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त -   प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47  मिनट तक
अभिजित मुहूर्त -  सुबह 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक

बैकग्राउंड

Shardiya Navratri 2023: 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी. इस साल माता रानी हाथी पर सवार होकर भक्तों के बीच आएंगी. माता का ये वाहन शुभ माना जाता है, इससे भक्तों के जीवन में खुशहाली आएगी.


अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि तक चलती है और विजयादशमी पर इसका समापन होता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 24 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगी. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि से जुड़ी समस्त जानकारी.


शारदीय नवरात्रि 2023 तिथि (Shardiya Navratri 2023 Tithi)


आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.


नवरात्रि में माता के आगमन-प्रस्थान की सवारी (Shardiya Navratri 2023 Mata Sawari)


देवी की सवारी नवरात्रि के पहले दिन से तय होती है। इस बार रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं, जो कि सुख-समृद्धि का संकेत है। वहीं, 23 अक्टूबर, सोमवार नवरात्रि का आखिरी दिन रहेगा. 24 अक्टूबर को मां विदा हो जाएंगी. इस दिन मंगलवार है तो माता रानी मुर्गे पर सवार होकर अपने लोक लौटेंगी.


नवरात्रि में देवी की पूजा और घटस्थापना का महत्व


मां दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि बहुत पवित्र दिन माने जाते हैं. कहते हैं जिस तरह सावन को शिव पूजा के लिए शुभफलदायी माना गया है उसी तरह नवरात्रि के 9 दिन हर संकट, कष्ट, दुख, दोष दूर करने के लिए लाभकारी होते हैं. इन नौ रातों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा से माता रानी सालभर भक्तों पर मेहरबान रहती हैं, जातक को सुख, समृद्धि, धन वृद्धि, वंश वृद्धि और सुखी वैवाहिक का आशीर्वाद मिलता है.


मां दुर्गा के 9 स्वरूप


प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।


तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।


पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।


सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।


नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।


उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।


9 शक्तियों के नाम - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री


Shardiya Navratri 2023: 5 शुभ योग में पधारेंगी मां दुर्गा, नवरात्रि में घटस्थापना के लिए ये है श्रेष्ठ मुहूर्त, जानें विधि



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