Maa Skandmata Aarti: स्कंदमाता के आशीर्वाद से मिलता है संतान सुख, नवरात्रि के 5वें दिन की आरती और उपाय
Maa Skandmata Puja: नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए आरती और कुछ खास उपाय कर सकेत हैं. देवी स्कंदमाता के आशीर्वाद से संतान सुख मिलता है.
Navratri 5th day Puja 2023 Maa Skandmata: शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना की जाएगा. कहते हैं मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर स्कंदमाता की आराधना करने वाले भक्तों की सारी कठिनाईयों का अंत हो जाता है. स्कंदमाता की पूजा करने सूनी गोद जल्द भर जाती है.
जिन लोगों को संतान प्राप्ति में परेशानियां आ रही है वह 19 अक्टूबर 2023 को मां स्कंदमाता की पूजा करें और उनकी आरती करें. कहते हैं इस दिन कुछ खास उपाय करने से घर में जल्द किलकारियां गूंजती हैं
मां स्कंदमाता की आरती (Maa Skandmata Aarti)
जय तेरी हो स्कंदमाता,
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी,
जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा,
मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता
कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे,
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे,
करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं,
चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता
नवरात्रि में मां स्कंदमाता के उपाय (Maa Skandmata Upay)
सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद हरे रंग के वस्त्र पहने और देवी को हरी चूड़ी, हरी साड़ी, मेहंदी, सिंदूर, रौली, अक्षत अर्पित करें. इस दिन चुनरी में नारियल रखकर नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी" इस मंत्र का 108 बार जाप करें और नारियल को बांधकर हमेशा अपने सिरहाने रखें. मान्यता है इससे संतान प्राप्ति की राह आसान हो जाती है. सूनी गोद जल्द हरी-भरी हो जाती है.
मां स्कंदमाता स्तोत्र (Maa Skandmata Stotra)
नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्॥
शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपाíचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।
सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्॥
मुमुक्षुभिíवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।
नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।
सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।
सुधामककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्॥
शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।
तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्॥
सहस्त्रसूर्यराजिकांधनज्जयोग्रकारिकाम्।
सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमज्जुलाम्॥
प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।
स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्॥
इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।
पुन:पुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराíचताम॥
जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्॥
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