Shardiya Navratri 3rd Day 2023 Puja: 17 अक्टबर 2023 को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि की तृतीया तिथि पर मां दुर्गा की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा को समर्पित है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है.


मां चंद्रघंटा के पूजन से साधक को तीसरे मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं, निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है. आत्मविश्वास मे बढ़ोत्तरी होती है जिससे हर कार्य कर पाना संभव हो जाता है. जानें मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मुहूर्त, भोग और मंत्र.


नवरात्रि 2023 मां चंद्रघंटा पूजा मुहूर्त (Navratri 2023 Maa Chandraghanta Puja Muhurat)


अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि शुरू - 17 अक्टूबर 2023, प्रात: 01.13


अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त - 18 अक्टूबर 2023, प्रात: 01.26



  • चर (सामान्य) - सुबह 09:15 - सुबह 10:40

  • लाभ (उन्नति) - सुबह 10:40 - दोपहर 12:06

  • अमृत (सर्वोत्तम) - दोपहर 12:06 - दोपहर 01:32


नवरात्रि 2023 चौथे दिन का शुभ योग (Maa Chandraghanta Puja 2023 Shubh Yoga)



  • प्रीति - 16 अक्टूबर, 10.4 AM - 17 अक्टूबर, 9.22 AM

  • रवि योग - 08.31 PM - 18 अक्टूबर, 6.23 AM


मां चंद्रघंटा पूजा विधि (Maa Chandraghanta Puja vidhi)


मां चंद्रघंटा की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता दूर की जा सकती है. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को लाल चंदन, लाल चुनरी, लाल फूल और लाल फल(सेब) अर्पित करें. लाल रंग मां चंद्रघंटा को अति प्रिय है. देवी चंद्रघंटा की पूजा में क्लीं मंत्र का लगातार जाप करते रहें. मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं मान्यता है इससे व्यक्ति में साहस जाग्रत होता है और दुश्मनों पर विजय पाने की शक्ति मिलती है.


मां चंद्रघंटा के उपाय (Maa Chandraghanta Upay)


नवरात्रि के तीसरे दिन किसी दुर्गा मंदिर में घंटी भेंट करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें. मान्यता है इससे विरोधी कार्य में बाधा नहीं बनते और तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं. ये उपाय जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आता है. पौराणिक कथा के अनुसार असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था.


मां चंद्रघंटा का मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)



  • या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।

  • पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

  • ऐं श्रीं शक्तयै नम:


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