शारदीय नवरात्रि का छठवां दिन आज, मां कात्यायनी की पूजा को लेकर क्या है शास्त्रों में महत्व, जानें
9 दिवसीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो चुकी है और आज षष्ठी के दिन मां कात्यायनी की पूजा होगी. धार्मिक ग्रंथों के जानकार अंशुल पांडे से जानते और समझते हैं, मां कात्यायनी की कथा और पूजन का महत्व.
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छठा दिन: – मां कात्यायनी
नवरात्रि में छठवें दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं 'मां कात्यायनी'. नवदुर्गा ग्रंथ (एक प्रतिष्ठित प्रकाशन) के अनुसार इनके नाम की उत्पति के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. कत ऋषि के पुत्र महर्षि ’कात्य’ थे. महर्षि ’कात्यायन’ इन्हीं के वंशज थे. चूंकि घोर तपस्या के बाद माता पार्वती / कात्यायनी की पूजा सर्वप्रथम करने का श्रेय महर्षि कात्यायन को जाता है. इसलिए इन माता का नाम देवी कात्यायनी पड़ा. कात्यायन महर्षि का आग्रह था कि, देवी उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी नवमी तक इन्होंने तीन दिन कात्यायन द्वारा की जा रही अर्चना स्वीकृत की और दशमी को महिषासुर का वध किया. देवताओं ने इनमें अमोघ शक्तियां भर दी थी.
छठे दिन साधक के मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है. उसमें अनंत शक्तियों का संचार होता है. वह अब माता का दिव्य रूप देख सकता है. भक्त को सारे सुख प्राप्त होते हैं. दुख दारिद्र्य और पापों का नाश हो जाता है.
ये दिव्य और भव्य स्वरुप की हैं. ये शुभ वर्णा हैं और स्वर्ण आभा से मण्डित हैं. इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में स्थित है. बाएं हाथ में ऊपर कर हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है. इनका भी वाहन सिंह है.
इनका मन्त्र है :–
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
संपूर्ण ब्रज की अधिष्ठात्री देवी यही माता थी. चीर हरण के समय माता राधा और अन्य गोपियां इन्हीं माता की पूजा करने गईं थीं. कात्यायनी माता का वर्णन भागवत पुराण 10.22.1 में भी है, श्लोक है: –
हेमन्ते प्रथमे मासि नन्दत्रजकुमारिकाः । चेरुर्हविष्यं भुञ्जानाः कात्यायन्यर्च्चनव्रतम् ॥
अर्थात: – श्रीशुकदेवजी कहते हैं- परीक्षित्. अब हेमन्त ऋतु आयी. उसके पहले ही महीने में अर्थात् मार्गशीर्षमें नन्दबाबाके व्रजकी कुमारियां कात्यायनी देवी की पूजा और व्रत करने लगीं. वे केवल हविष्यान्न ही खाती थीं.
देवी पुराण के अनुसार आज के दिन 6 कन्याओं का भोज करवाना चाहिए. स्त्रियां आज के दिन स्लेटी यानी ग्रे रंग की साड़ियां पहनती हैं.
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