Navratri 2024: एक वर्ष में दो बार 6 माह की अवधि के अंतराल पर नवरात्रि (Navratri) आती हैं. मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है.

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार 9 की बजाय 10 दिन की शारदीय नवरात्रि होगी क्योंकि नवरात्रि की एक तिथि में वृद्धि होने के कारण शारदीय नवरात्रि 3 से 12 अक्टूबर तक होगी.

सबसे खास बात यह है कि नवमी की पूजा और विजयादशमी (Vijaydashmi) का पर्व भी एक ही दिन मनाया जायेगा. इस बार शारदीय नवरात्रि पर्व 9 दिन की बजाय 10 दिन के रहेंगे क्योंकि एक नवरात्रि की वृद्धि हो रही है जिसे श्रेष्ठ माना गया है. इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है इस बार 5 एवं 6 अक्टूबर को तृतीया तिथि रहेगी. इस कारण शारदीय नवरात्रि का समापन 12 अक्टूबर को होगा और इसी दिन दशहरा (Dussehra) भी मनाया जायेगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि तृतीया तिथि 5 अक्टूबर को प्राप्त 5 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 6 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगी. यह तिथि दोनों दिन के सूर्योदय को स्पर्श करेगी इसलिए दोनों दिन तृतीया तिथि का पूजन होगा.

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12 बजकर 19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर 2024 को होगा.  

सुबह नवमी पूजन और शाम को दशहरा (Navmi Pujan and dussehra)
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे आ जाएगी. जो 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे तक रहेगी. इसके बाद दसवीं तिथि आएगी इसलिए 12 अक्टूबर को सुबह नवमी का पूजन होगा और शारदीय नवरात्रि का समापन इसी दिन माना जाएगा. शाम को दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा. साथ ही दशहरा पर शस्त्र पूजा भी इसी दिन होगी और शाम को रावण दहन किया जाएगा. जबकि शनिवार होने की वजह से और अगले दिन रविवार को उदियात तिथि में दशमी तिथि होने की वजह से नवरात्रि का उत्थापन रविवार को होगा.

डोली या पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा 
नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है. नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है. अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली या पालकी पर आती हैं.

बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं. शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ होंगी. मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं है. मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है.
 
क्या होगा असर? (What will be the effect)
मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं है. मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है. अर्थ व्यवस्था गिरने से लोगों का काम धंधा मंदा पड़ने की आशंका है. साथ ही देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर है. लोगों को कोई बड़ी अप्राकृतिक घटना का सामना करना पड़ सकती है. सेहत में भारी गिरावट आ सकती है. दूसरे देशों से हिंसी की खबरें आ सकती हैं.
 
3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri from 3rd October)
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2:58 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर 2024 को होगा.  

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त (Kalash Sthapna Shubh Muhurat)


  • घटस्थापना तिथि:  3 अक्टूबर 2024
  • घटस्थापना मुहूर्त:  प्रातः 06:24 मिनट से प्रातः 08: 45  मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:52 मिनट से दोपहर 12:39 मिनट तक
     

शारदीय नवरात्रि की तिथियां (Navratri Tithi)

3 अक्टूबर 2024 मां शैलपुत्री प्रतिपदा तिथि
4 अक्टूबर 2024 मां ब्रह्मचारिणी द्वितीया तिथि
5 - 6 अक्टूबर 2024 मां चंद्रघंटा तृतीया तिथि
7 अक्टूबर 2024 मां कुष्मांडा चतुर्थी तिथि
8 अक्टूबर 2024 मां स्कंदमाता पंचमी तिथि
9 अक्टूबर 2024 मां कात्यायनी षष्ठी तिथि
10 अक्टूबर 2024 मां कालरात्रि सप्तमी तिथि
11 अक्टूबर 2024 मां महागौरी,  दुर्गा अष्टमी      
12 अक्टूबर 2024 मां सिद्धिदात्री, दशहरा

कलश स्थापना (Ghatsathapna)
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है.

अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं.  प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है.
  
कलश स्थापना की सामग्री (Puja Samihri)



भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
 
कैसे करें कलश स्थापना (Kalash ki Sthapna Kaise Karen)
नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं.

फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.