Shardiya Navratri 2024 Day 2 Maa Brahmacharini Puja: नवरात्रि के दूसरे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं ब्रह्मचारिणी हैं. देवी का स्वरूप अति रमणीय और भव्य है. ’ब्रह्म’ का अर्थ है तप. यानी ये तप करने वाली देवी हैं. नारद जी के कहने पर इन्होंने कई हज़ार वर्षो तक भगवान शिव के लिए तपस्या की थी. तपोमय आचरण करने के फलस्वरूप इनका नाम ’ब्रह्मचारिणी’ हो गया.


माता के एक हाथ में कमण्डल और एक में जप करने हेतु माला है. माता का यह तपोमय रूप सबको अनेक फल देने वाला है. इनकी उपासना से व्यक्ति के जीवन में सद्गुणों की वृद्धि है. वह मां के आशीर्वाद से कर्तव्य पथ से कभी नहीं हटता. वह प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त करता है. इस दिन तपस्वी का मन स्वाधिष्ठान में स्थित रहता है.


देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र है (Maa Brahmacharini Mantra)


दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||


मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Maa Brahmacharini Katha in Hindi)


इस बात का उल्लेख किया जा चुका है (कल छपे शैलपुत्री लेख में) कि जब सती ने पुनः जन्म लिया तब वे हिमालय राज की पुत्री के रूप में आईं. नारद जी के कहने पर उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए घनघोर तपस्या की. इसलिए ये ’तपश्चारिणी’ या ’ब्रह्मचारिणी’ कहलाईं. हजार वर्ष कन्द मूल खाकर बिताए, सौ वर्ष साग खाकर बिताए. वे गर्मी में धूप, वर्ष में जल को और शीत में ठंड को सहन करती हुई खुले आसमान तले सोई.


कुछ दिन वे सूखे बेलपत्र खाकर रहीं. फिर उन्होंने पत्ते भी खाना छोड दिया और वे ’अपर्णा’ के रूप में पहचानी गईं. भगवान शिव जी ने उनकी कई बार परीक्षा भी ली जिसमे वे पूर्णतः सफल भी हुईं. इस तपस्या का परिणाम यह हुआ कि उन्हें भगवान ब्रह्माजी से आशीर्वाद मिला.


भगवान ब्रह्माजी ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनसे शिव का विवाह अवश्य होगा और साथ ही यह सलाह भी दी कि पिता अभी कुछ क्षणों में पधारने ही वाले हैं तो पार्वती अपने पिता के साथ हिमालय लौटकर शिवजी की प्रतीक्षा करें.


आज के दिन श्वेत रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. देवी पुराण के अनुसर आज के दिन दो कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है.


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