Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र की अष्टमी (navratri ashtami) और नवमी (navratri navami) पर आज संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) के देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. शक्तिपीठ (Mata Shaktipeeth) अलोप शंकरी (alop shankari) समेत दूसरे देवी मंदिरों में महागौरी स्वरुप में देवी मां का भव्य श्रृंगार किया गया है.


शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर के साथ ही कल्याणी देवी, ललिता देवी और दूसरे देवी मंदिरों में सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही श्रद्धालुओं की लम्बी कतार लगी हुई है. इन मंदिरों में लोग देवी मां के दर्शन, पूजन कर उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद ले रहे हैं.


मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा (Alop shankari mandir Facts)


नवरात्र की अष्टमी और नवमी पर प्रयागराज के शक्तिपीठों, देवी मंदिरों को ख़ूबसूरती से सजाया गया है. अलोप शकरी शक्तिपीठ में कोई मूर्ति नहीं है और वहां पर मूर्ति के बजाय एक पालने की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक शिवप्रिया सती की दाहिने हाथ की छोटी उंगली यही गिरकर कुंड में अलोप यानी अदृश्य हो गई थी. इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी के नाम से जाना जाता है.


मां महागौरी को कैसे मिला ये नाम


धर्म शास्त्रों के मुताबिक कठोर तप के कारण जब मां का वर्ण काला पड़ गया था, तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनके शरीर को पवित्र गंगाजल से धोया था. इससे मां का शरीर अत्यंत कांतिमान और गौर हो उठा, तभी से मां का नाम महागौरी पड़ा. महागौरी श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं, इसलिए इन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है. अष्टमी पर आज महागौरी स्वरूप में देवी मां का पूजन किया जा रहा है.


ऐसा है देवी का स्वरूप


महागौरी वृषभ पर सवार रहती हैं. इनके चार हाथ हैं दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है, तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं. बाईं ओर के उपर वाले हाथ में डमरू रहता है, तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. लंबे अरसे बाद ऐसा हो रहा है जब अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन की जा रही है, हालांकि श्रद्धालु व्रत का पारण कल ही कर सकेंगे.


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