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Shattila Ekadashi 2021: 7 फरवरी को है माघ मास की पहली एकादशी, जानें महत्व और पूजा विधि
Ekadashi 2021: 7 फरवरी को षटतिला एकादशी है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. धार्मिक दृष्टि से षटतिला एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है.
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Shattila Ekadashi 2021: पंचांग के अनुसार 7 फरवरी 2021 को माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाला जाता है. मान्यता है कि इस दिन भक्तिभाव और विधि पूर्वक भगवान विष्णु पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है.
महाभारत में मिलता है एकादशी व्रत का वर्णन एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ट माना गया है. महाभारत में भी एकादशी के महामात्य के बारे में वर्णन मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन और युधिष्टिर को एकादशी व्रत के बारे में बताया था. जिसके बाद धर्मराज युधिष्टिर ने विधिपूर्वक इस व्रत को किया था. एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
षटतिला एकादशी पंचांग के अनुसार माघ षटतिला एकादशी माघ मास की प्रथम एकादशी है. षटतिला एकादशी में तिल की पूजा का विधान बताया गया है. वहीं इस दिन 6 किस्म के तिलों का प्रयोग करना शुभ माना गया है. इस दिन तिल से निर्मित चीजों का उपयोग करना लाभकारी माना गया है. षटतिला एकादशी का पर्व जीवन में तिल के महत्व के बारे में भी बताता है.
पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी 7 फरवरी की सुबह 07 बजकर 55 मिनट से 09 बजकर 25 तक, सुबह 12 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 05 मिनट तक, दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर18 मिनट तक, शाम 06 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 30 मिनट उत्तम पूजा का मुहूर्त बना हुआ है.
षटतिला एकादशी व्रत का पारण 7 फरवरी को प्रात: 06:26 बजे से एकादशी तिथि प्रारम्भ 8 फरवरी को प्रात: 04:47 बजे एकादशी तिथि का समापन एकादशी व्रत पारण समय: 8 फरवरी दोपहर 01:42 से 03:54 पी एम तक हरि वासर समाप्त होने का समय: 8 फरवरी को प्रात: 10:25 तक
एकादशी पूजा विधि 7 फरवरी को एकादशी तिथि पर सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें. विधि पूर्वक व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें. भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है. इस दिन पीले रंग की चीजों का प्रयोग करें. इस दिन रात्रि में भी पूजा करनी चाहिए. पारण पर दान आदि का कार्य भी करना चाहिए.
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