शीतला अष्टमी: मां शीतला रोगों से दिलाती हैं मुक्ति, ये है पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
Sheetala ashtami 2020: शीतला सप्तमी 15 मार्च को है. 16 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत है. शीतला अष्टमी पर पूजा का मुहूर्त सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक ही है.
शीतला अष्टमी 2020 : मां शीतला देवी को महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है. चैत्र कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा की जाती है. देश कुछ भागों में इस पर्व को शीतला पूजन और बसौड़ा पूर्व के रूप में भी मनाया जाता है. आइए जानते हैं शीतला अष्टमी के बारे में-
16 मार्च 2020 को शीतला अष्टमी है
मान्यता है इस दिन माता शीतला की पूजा विधि विधान से करने से गंभीर से गंभीर रोग भी दूर होते हैं. जो व्यक्ति शीतलाष्टमी का व्रत करता है और नियमानुसार पूजा करता है मां शीतला उस पर अपना आर्शीवाद बनाए रखती है और उसकी हर प्रकार से रक्षा भी करती हैं. उसे लंबी उम्र भी प्रदान करती है. निरोगी बनाती हैं.
इस व्रत से जुड़ी है ये कथाशीतला अष्टमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन एक कथा जो सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार शीतला सप्तमी के दिन का एक बुजुर्ग महिला व उसकी दो बहुओं ने व्रत रखा. उस दिन सभी को बासी भोजन ग्रहण करना था. इसलिये पहले दिन ही भोजन पका लिया गया था. दोनों बहुओं को कुछ समय पहले ही संतान की प्राप्ति हुई थी इसलिए उन्होंने बासी भोजन नहीं खाया क्योंकि उन्हें भय था कि कहीं ऐसा करने से उनकी संतान बिमार न हो जाए.
दोनों ने अपनी सास के साथ माता की पूजा अर्चना के बाद पशओं के लिये बनाये गये भोजन के साथ अपने लिये भी रोटी बनाकर खा ली. जब सास ने बासी भोजन खाने के लिए कहा तो दोनों ने बहाना बना दिया.
इस आचरण से मां शीतला नाराज हो गईं, उन दोनों के नवजात शिशु मृत मिले. जब सास को पूरी कहानी पता चली तो उसने दोनों को घर से निकाल दिया. दोनों अपने शिशु के शवों को लिये जा रही थी कि एक बरगद के पास रूक कर विश्राम करने लगीं. वहीं पर ओरी व शीतला नामक दो बहनें भी थीं जो अपने सिर के जूंओं से बहुत परेशान थी. दोनों बहुओं को उन पर दया आयी और उनकी मदद की सिर से जूंए निकालने लगीं. जिससे उन्हें आराम मिला और दोनों बहुओं को पुत्र रत्न प्राप्ति का आर्शीवाद दिया.
इस पर उन्होंने कहा कि हरी भरी गोद ही लुट गई है इस पर शीतला ने लताड़ लगाते हुए कहा कि पाप कर्म का दंड तो भुगतना ही पड़ेगा. बहुओं ने पहचान लिया कि साक्षात माता हैं तो चरणों में पड़ गई और क्षमा याचना की, माता को भी उनके पश्चाताप करने पर दया आ गई और उनके पुत्रों को पुन: जीवित कर दिया. मां के इस इस चमत्कार के बाद मां शीतला की पूजा की जाने लगी.
शीतला अष्टमी- पूजा की विधिइस दिन मां शीतला की सफेद वस्त्र पहनकर पूजा अर्चना की जाती है. सुबह स्नान करने के बाद मां शीतला की पूजा प्रारंभ करें. पूजा के बाद मां को बासी भोजन का भोग लगाएं और मनोकामना कहें. हवन पूजन और भजन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है. इस दिन गर्म भोजन नहीं करना चाहिए.
मुहूर्त- शीतला अष्टमी
15 मार्च 2020(रविवार) - शीतला सप्तमी
16 मार्च ( सोमवार )- शीतला अष्टमी
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त -सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक
16 मार्च- शीतला अष्टमी 03:19 बजे से
17 मार्च- शीतला अष्टमी 02:59 बजे तक
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