Sheetala Ashtami 2021: शीतला अष्टमी की पूजा को विशेष माना गया है. शीतला अष्टमी पर मां शीतला देवी की पूजा का विधान है. शीतला माता संक्रामक रोगों से रक्षा करती हैं. शीतला माता की पूजा में विधि और शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व बताया गया है.
शीतला माता की पूजा अष्टमी की तिथि पर की जाती है. पंचांग के अनुसार 4 अप्रैल रविवार को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन चंद्रमा धनु राशि में रहेगा. इस दिन नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा. मान्यता है कि होली पर्व से आठवें दिन शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन देश के कई स्थानों पर मां शीतला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. शीतला अष्टमी पर मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. भोग के लिए भोजन एक दिन पूर्व बनाया जाता है.
शीतला अष्टमी का महत्व
मां शीतला देवी की पूजा से चेचक और संक्रामक रोगों से बचाव होता है. ऐसा माना जाता है मां शीतला इन रोगों से रक्षा करती हैं. शीतला स्त्रोत में मां शीतला के स्वरूप के बारे में बताया है-
वंदेऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबराम् ।
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम् ॥
इसका अर्थ यह है कि शीतला माता हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए हुए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त
4 अप्रैल 2021- शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त: प्रात: 6.08 बजे से शाम 6.41 बजे तक.
कुल अवधि: 12 घंटे 33 मिनट.
अष्टमी का आरंभ: 4 अप्रैल, प्रात: 4 बजकर 12 मिनट.
अष्टमी का समापन: 5 अप्रैल, प्रात: 2 बजकर 59 मिनट पर.
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
शीतला अष्टमी पर प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. मां शीतला देवी का स्मरण करें. मां शीतला देवी की पूजा आरंभ करें. मां को भोग लगाएं. मां को दही, रबड़ी, चावल आदि का भोग लगाएं. मां से प्रार्थना करें.