Sheetala Ashtami 2021: शीतला माता की पूजा का विशेष महत्व है. माता शीतला देवी की पूजा होली के सातवें और आठवें दिन की जाती है. इसीलिए इसे शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी भी कहा जाता है. शीतला माता की पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार या बृहस्पतिवार को की जाती है.


मां शीतला के बारे में स्कंद पुराण में विस्तार से चर्चा की गई है. माता शीतला को संक्रामक रोगों को दूर करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है. उत्तर भारत सहित देश के कई स्थानों पर माता शीतला देवी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. चैत्र मास में मां शीतला देवी की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. शीतला माता की पूजा करने से रोग और बीमारियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति बनी रहती है.


ग्रीष्मकाल का आरंभ होता है
शीतला अष्टमी के दिन से ही मौसम में बदलाव महसूस होने लगता है. मान्यता है कि शीतला अष्टमी से ही ग्रीष्मकाल आरंभ हो जाता है. दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है. सूर्य देव के तापमान में भी वृद्धि होने लगती है. शीतला का अर्थ शीतलता प्रदान करने वाली बताया गया है. इस दिन व्रत रखकर शीतला माता की विधि पूर्वक पूजा की जाती है.


स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है
शीतला अष्टमी के व्रत में स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. अपने आसपास विशेष साफ सफाई करनी चाहिए. कहीं पर भी गंदगी आदि जमा नहीं होनी चाहिए. दैनिक दिनचर्या में नियमों का पालन करना चाहिए. शीतला माता को चेचक जैसे रोगों को दूर करने वाली देवी माना गया है. शीतला माता के हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए हुए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.


शीतला अष्टमी की पूजा विधि
पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का पर्व 4 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. चंद्रमा धनु राशि में विराजमान रहेगा. जिस स्थान पर होलिका दहन किया जाता है उस स्थान की भी पूजा की जाती है. शीतला माता के मंदिर में इस दिन पूजा करनी चाहिए.


शीतला सप्तमी का मुहूर्त
सप्तमी तिथि का आरंभ: 3 अप्रैल को सुबह 06 बजे से
सप्तमी तिथि का समापन: 4 अप्रैल को सुबह 04:12 पर


शीतला अष्टमी का मुहूर्त
अष्टमी तिथि का आरंभ: 4 अप्रैल को सुबह 04:13 से
अष्टमी तिथि का समापन: 5 अप्रैल को रात 03 बजे तक


April 2021 Festival Date Calendar: अप्रैल में चैत्र नवरात्रि कब है? गुड़ी पड़वा और एकादशी की तिथियों के बारे में जानें