Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी पर क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग? जानें महत्व
Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी के दिन देवी को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है, ये एकमात्र व्रत है जिसमें ठंडा खाने की परंपरा है. जानें क्यों शीतला अष्टमी पर बासी भोग लगाया जाता है.
Sheetala Ashtami 2024: 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी का व्रत है. शीतला अष्टमी के दिन लोग बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. शीतला माता को चेचक की देवी माना जाता है. उन्हें सफाई का प्रतीक माना जाता है जो ताप या अग्नि उत्पन्न करने वाले रोगों से मुक्त करती हैं. शीतला अष्टमी पर पूजा में बासी भोग लगाने के पीछे एक खास मान्यता है. आइए जानते हैं.
शीतला अष्टमी पर क्यों लगाया जाता हैं बासी भोग ?
शीतला माता का ही व्रत ऐसा है जिसमें शीतल यानी ठंडा भोजन किया जाता है. इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है, इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, देवलोक से देवी शीतला अपने हाथ में दाल के दाने लेकर भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर के साथ धरती लोक पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं. लेकिन, राजा विराट ने देवी शीतला को राज्य में रहने से इनकार कर दिया
देवी के प्रकोप से जलने लगी त्वचा
राजा के इस व्यवहार से देवी शीतला क्रोधित हो गई. शीतला माता के क्रोध की अग्नि से राजा की प्रजा के लोगों की त्वचा पर लाल लाल दाने हो गए. लोगों की त्वचा गर्मी से जलने लगी थी. तब राजा विराट ने अपनी गलती पर माफी मांगी. इसके बाद राजा ने देवी शीतला को कच्चा दूध और ठंडी लस्सी का भोग लगाया, तब माता शीतला का क्रोध शांत हुआ.
तब से माता देवी को ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है.शीतला माता की पूजा और इस व्रत में ठंडा भोजन करने से संक्रमण एवं अन्य तरह की बीमारियां नहीं होती. वहीं ये व्रत के दौरान गर्मी होती है. माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव किया जाता है. इसलिए ठंडा भोजन करने की परंपरा बनाई गई है.
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