Shivling Parikarma Niyam: हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में भगवान शिव (Bhagwan Shiva) को महादेव कहा जाता है. कहते हैं इस जन्म में जिसने भोलशंकर (Bholeshankar) को प्रसन्न कर लिया, उन्होंने जन्म-जन्मातर के इस बंधन को हमेशा के लिए पार कर लिया. मान्यता है कि भोलेनाथ भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. अगर सच्चे दिल से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना और व्रत किए जाएं, तो वे प्रसन्न होकर मन वांछित फल देते हैं. इसलिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग सोमवार को व्रत रखते हैं. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन मंदिर में जाकर शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाया जाता है. लेकिन इस दौरान कई तरह की भूल हो जाती है, जिससे भगवान रुष्ट हो जाते हैं. आइए डालते हैं इन पर एक नजर. 


शिवलिंग की परिक्रमा न करें पूरी
धर्म शास्त्रों में शिवलिंग की परिक्रमा के लिए कुछ नियमों का उल्लेख किया गया है. अगर इनका पालन न किया जाए, तो शिव अराधना का फल नहीं मिलता. धर्म ग्रंथों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने को कहा गया है. चंद्राकार परिक्रमा करने को कहा गया है. मान्यता है कि शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करनी वर्जित है. शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए. इसके बाद आधी परिक्रमा करके फिर लौटकर उसी जगह वापस आ जाते हैं, जहां से परिक्रमा शुरू की थी. 


जलधारी को कभी न लांघें 
जिस स्थान से शिवलिंग का जल प्रवाहित होता है उसे जलधारी, निर्मली और सोमसूत्र कहा जाता है. कहते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद उसे कभी लांघना नहीं चाहिए. अगर आप गलती से भी ऐसा करते हैं तो जलधारी की ऊर्जा मनुष्य के पैरों के बीच से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसके चलते शरीर में शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं. 


शिवलिंग का जल घर में छिड़कें
धर्म ग्रंथों के अनुसार शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा पुरुष और निचला हिस्सा स्त्री का प्रतिनिधित्व करता है. इसके चलते ही शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक माना जाता है. यह ऊर्जा बहुत गर्म और शक्तिशाली होती है. इसलिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करके उसे शांत करने की कोशिश की जाती है. ऐसा करने से उसमें दोनों शक्तियों की ऊर्जा के कुछ अंश शामिल हो जाते हैं. ऐसे में शिवलिंग पर चढ़े हुए जल को घर में छिड़कने से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. 


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