(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Shiv Puran: ज्योतिर्लिंग का महत्व बताती है शिव पुराण की कोटिरुद्र संहिता, जानिए 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में
Shiv Puran: शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के कल्याणकारी अवतारों और ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है. इस संहिता में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विस्तृत वर्णन किया गया है.
Shiv Puran Lord Shiva Niti in Hindi: शिव पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण और शैव मत संप्रदाय से संबंधित पुराण है. इसमें शिवजी की महिमा के बारे में बताया गया है और शिव के जीवन पर गहराई से प्रकाश डाला गया है. शिव पुराण में 24 हजार श्लोक और 6 खंड हैं, जिसे संहिता भी कहा जाता है. कहीं कही 7 संहिता का भी उल्लेख किया गया है. इन्हीं में एक है कोटिरुद्र संहिता (Kotirudra Samhita).
कोटिरुद्र संहिता में विशेषकर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है. साथ ही इसमें भगवान विष्णु द्वारा शिव के सहस्त्र नामों का भी वर्णन किया गया है और शिवरात्रि व्रत के महत्व से जुड़ी कथा भी है. कोटिरुद्र संहिता में बताया गया है कि ये अति प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात शिव का वास है और सनातन धर्म में इन 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा का खास महत्व है. आइये जानते हैं कहां हैं ये 12 ज्योतिर्लिंग और क्या है इनके नाम व महत्व.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirling): गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग हैं, जिसे पृथ्वी का प्रथम और सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. शिव पुराण के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga): आन्ध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा नदी के तट पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है, जो श्रीशैल पर्वत पर बिराजमान है. इसे दक्षिण कैलाश भी कहते हैं.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga): मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है और विश्वभर में प्रसिद्ध है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga): मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि इसके चारों ओर पहाड़ और नदी बहने से यहां ‘ॐ’ का आकार बनता है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga): उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar jyotirlinga): महाराष्ट्र के पूणे के पास सह्याद्रि नामक पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga): उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाश ज्योतिर्लिंग है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirling): महाराष्ट्र के नासिक में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirling ): झारखण्ड के संथाल परगना के पास स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirling): गुजरात के द्वारिका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga): तमिलनाडु के रामेश्वरम में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग को स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से बनाया था.
घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga): भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है जो महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है.
शिव पुराण महत्व (Shiv Puran Importance)
शिव भक्तों के लिए इस पुराण का बहुत महत्व है. शिव पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में दर्शाया गया है. इस पुराण का पाठ करने से व्यक्ति में शिव के समान श्रेष्ठ गुणों का संचार होता है. अगर आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ अवश्य करें. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा, आरती (Shiv Aarti) और मंत्रों का जाप आदि करें. मान्यता है कि भगवान शिव की आरती (Lord Shiva Aarti) का पाठ करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
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