Shiv Nandi: भगवान शिव का वाहन नंदी होता है.अक्सर नंदी की प्रतिमा शिव मंदिर के बाहर स्थित होती है. शिव और नंदी का साथ कुछ ऐसा है कि जहां शिव होंगे, वहां नंदी भी मौजूद होंगे. शिव पूजा में गणेश जी, मां पार्वती और कार्तिकेय स्वामी के साथ ही नंदी की भी पूजा की जाती है.भगवान शिव का वाहन नंदी का मेहनत का प्रतीक है.भोलेनाथ के मंदिर में शिवजी से पहले नंदी के दर्शन होते हैं. आखिर क्यों शिव जी को इतने प्रिय है नंदी और क्या है नंदी के कानों में अपनी मन्नत मांगने का कारण, आइए जानते हैं.
क्यों कही जाती है नंदी के कानों में मनोकामना
नंदी की पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी ही मानी जाती है.नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कहने की परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि भगवान शिव अक्सर तपस्या में लीन रहते हैं. ऐसे में नंदी भक्तों की मनोकामनाएं सुनते हैं और शिव जी तपस्या पूरी होने पर भक्तों की मनोकामनाएं उन्हें बताते हैं। इसके बाद भगवान अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
इस तरह शिवजी के प्रिय बन गए नंदी
पौरणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो समुद्र से वस्तुएं निकलीं उसे लेकर देवता और असुरों में लड़ाई होने लगी. ऐसे में शिव जी ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पीकर संसार की रक्षा की थी. इस दौरान विष की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थीं.जिसे नंदी ने अपनी पी लिया. नंदी का ये प्रेम और लगाव देख शिव जी ने नंदी को सबसे बड़े भक्त की उपाधी दी. साथ ही ये भी कहा कि लोग शिव जी की पूजा के साथ उनकी भी अराधना करेंगे.