ये तो आप जानते ही हैं कि मंगल ग्रह का रंग लाल है. लेकिन ऐसा क्यों है….कैसे इस ग्रह का निर्माण हुआ, यह सवाल अक्सर मन में उठता ही रहता है. तो इसका जवाब हम आपको देंगे...क्या आप जानते हैं कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति और इसके लाल होने के पीछे भगवान शिव हैं? जी हां… यही कारण है कि मंगल को भगवान शिव व पृथ्वी का पुत्र कहा जाता है क्योंकि इन्हीं के कारण मंगल ग्रह अस्तित्व में आया. ऐसा क्या हुआ था और क्या है उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर का महत्व, बताते हैं विस्तार से आपको.
ऐसे हुई मंगल ग्रह की उत्पत्ति
कहा जाता है कि मंगल ग्रह का उद्भव मध्यप्रदेश के उज्जैन में हुआ. स्कंद पुराण के अवंतिका खंड की माने तो अंधकासुर नामक दैत्य को शिवजी से वरदान मिला था कि उसके रक्त से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। वरदान प्राप्त करने के बाद इस दैत्य ने खूब विध्वंस मचाया. तब भगवान शिव ने खुद अंधकासुर से युद्ध किया और शिव का पसीना बहने लगा। तब उस पसीने की बूंद की गर्मी से उज्जैन की धरती फटकर दो भागों में विभक्त हो गई और मंगल ग्रह का जन्म हुआ। चूंकि शिवजी ने दैत्य का वध किया तो उसकी खून की बूंदों को नव उत्पन्न मंगल ग्रह ने अपने अंदर समा लिया। ताकि और दैत्यों का जन्म ना हो सके। कहा जाता है इसीलिए मंगल ग्रह की धरती इतनी लाल है.
मंगलनाथ मंदिर की हुई स्थापना
वहीं जिस स्थान पर मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई वहां मंगल ग्रह को समर्पित एक भव्य मंदिर है जिसका नाम है मंगलनाथ मंदिर.चूंकि यहीं पर मंगल देव का जन्म हुआ इसीलिए यहां की बहुत मान्यता है. इस मंदिर को दैवीय गुणों से भरपूर माना जाता है. कहते हैं अगर किसी की कुंडली में मंगल दोष हो तो यहां पूजा करने से इस दोष से आने वाली परेशानियां कम हो जाती हैं. चूंकि मंगल की उत्पत्ति भगवान शिव के कारण ही हुई इसीलिए इस मंदिर में मंगल की उपासना शिव के रूप में भी की जाती है। खासतौर से मंगलनाथ मंदिर में मार्च में अंगारक चतुर्थी के दिन खास पूजा का विधान है. इस पूजा से मंगलदेव को तुरंत ही प्रसन्न किया जा सकता है.