Sawan 2021 : भगवान शिवजी दुष्टों के संहारक और भक्तों के पालक माने जाते हैं. शिवजी के मन में जब सृष्टि रचना का विचार आया तो उन्होंने अपनी शक्ति से पालनहार विष्णुजी को चतुर्भुज रूप में उत्पन्न किया. धरती पर धर्म की स्थापना के लिए भगवान हर युग में अवतार लेते हैं, इसलिए उन्हें शिवजी से यह रूप मिला.
भोलेनाथ ने उन्हें सभी भुजाओं में अलग-अलग शक्तियां दीं, जिनके चलते विष्णुजी के दो हाथ मनुष्य के लिए भौतिक फल देने वाले हैं. पीछे के दो हाथ मनुष्यों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के चार हाथ चारों दिशाओं की भांति अंतरिक्ष की चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. श्रीहरि के यह चारों हाथ मानव जीवन के लिए चार चरण और चार आश्रमों के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं. पहला ज्ञान के लिए खोज यानि ब्रह्मचर्य, दूसरा पारिवारिक जीवन, तीसरा वन में वापसी और चौथा संन्यासी जीवन. इसके अलावा पुराणों में बताया गया है कि जो कोई भी इंसान विष्णु के इन चारों हाथों के महत्त्व को जीवन में समाहित कर लेगा वह सदा खुद को परमेश्वर के पास पाएगा. विष्णुपुराण के मुताबिक विष्णु का निवास स्थान क्षीर सागर है और लक्ष्मीजी उनकी पत्नी हैं, वे शेषनाग की शय्या पर विश्राम करते हैं. उनके नाभि से उत्पन्न कमल पर ब्रह्मा जी हैं, उनके निचले बाएं हाथ में पद्य यानि कमल, दाहिने हाथ में कौमोदकी यानि गदा, ऊपर वाले बाएं हाथ में शंख और ऊपर दाहिने हाथ में सुदर्शन चक्र विराजमान हैं.
कृष्णजी को भी मिला रूप
लोककथा के मुताबिक श्रीहरि विष्णु ने कृष्ण अवतार के लिए मां देवकी के गर्भ में दो केश रखे थे. एक काला और एक सफेद रखा था. एक बाल शक्ति से रोहिनी की कोख में चला गया, इसलिए भले ही केश काला था, लेकिन वो दैवीय होने से नीला दिखाई देता था, इस कारण कृष्ण नीले दिखाई दिए. देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया था और रोहिनी ने बलराम को. कुछ लोग मानते हैं कि कृष्ण का ये रंग नहीं बल्कि आभा या प्रभामंडल है.
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