Shivling Puja: भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर जहां हिंदुओं के साथ मुसलमान भी करते हैं पूजा, जानें
Shivling Puja: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का एक गांव सरया तिवारी है. इस गांव में भगवान भोलेनाथ का कई सौ साल पुराना एक अद्भुत शिवलिंग है. इस शिवलिंग की पूजा हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी करते हैं.
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Shivling Puja: हिन्दू धर्म में भगवान भोलेनाथ की अपनी अलग ही महिमा है. भगवान भोलेनाथ की इसी महिमा के चलते पूरे देश में कई मंदिर बने हुए हैं. देश के अलग-अलग भागों में बने हुए इन मंदिरों में पूजा-पाठ अथवा दर्शन के लिए हिन्दू धर्म के भक्तों का साल भर तांता लगा रहता है. वहीँ हमारे देश में भगवान भोलेनाथ का एक मंदिर ऐसा भी है जहां पर हिंदुओं के साथ ही साथ मुस्लिम भी पूजा करने के लिए जाते है. आइए जानें इस अद्भुत शिवलिंग के बारे में.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है यह मंदिर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर एक क़स्बा है खजनी. इसी खजनी कस्बे के पास सरया तिवारी नामक एक गांव है. इसी गांव में भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा अद्भुत शिवलिंग है जिसकी पूजा हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग बड़ी श्रद्धा से करते हैं.
इस वजह से मुस्लिम करते हैं शिवलिंग की पूजा: मुस्लिमों के द्वारा इस शिवलिंग की पूजा करने के पीछे की वजह यह है कि इस शिवलिंग के ऊपर उर्दू भाषा में एक कलमा ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र रसुलुल्लाह’ (इस्लाम का पवित्र वाक्य माना जाता है) खुदा हुआ है. इसी कलमे की वजह से इस मंदिर में रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग अपने अल्लाह की इबादत करने के लिए जाते हैं.
इस वजह से महमूद गजनवी ने खुदवाया था शिवलिंग पर कलमा: ऐसा कहा जाता है कि जिस समय महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण करके भारत के मंदिरों को लूट रहा था उसी समय उसको इस मंदिर के बारे में भी पता चला था. यहां पहुंच कर उसने मंदिर को तहस-नहस करके शिवलिंग को भी उखाड़ने का प्रयास किया था. लेकिन गजनवी की पूरी सेना इस शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित हो गई थी क्योंकि उसकी सेना जितनी गहराई में खुदाई करती, शिवलिंग उतना ही बढ़ता जाता था. शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित होने पर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया. महमूद गजनवी के द्वारा इस अद्भुत शिवलिंग पर कलमा खुदवाने का एक मात्र उद्देश्य यह था कि हिन्दू समुदाय के लोग इस शिवलिंग की पूजा न कर सकें. लेकिन आज के समय में यह शिवलिंग सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन चुका है.
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