Shivling Tripund: शास्त्रों के अनुसार माथे पर तिलक लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. अक्सर साधू-संतों और पुजारी ललाट पर भी जो तीन रेखाओं का तिलक लगाते हैं उसे त्रिपुंड़ कहते हैं. महादेव की पूजा में उन्हें चंदन या भस्म का त्रिपुंड जरूर लगाया जाता है. ये कोई साधारण रेखाएं नहीं, शास्त्रों में इनका विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं त्रिपुंड की इन तीन रेखाओं का क्या मतलब है? त्रिपुंड लगाने का सही तरीक क्या है ? त्रिपुंड लगाने के क्या लाभ है ?
त्रिपुंड क्या है ?
धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रिपुण्ड की तीन रेखाओं में 27 देवताओं का वास होता है. हर एक रेखा में 9 देवताओं का वास होता हैं. मान्यता है कि त्रिपुण्ड लगाने वालों पर शिव जी की विशेष कृपा बरसती है.
- त्रिपुंड की पहली रेखा के देवता- महादेव, अकार, रजोगुण, पृथ्वी, गाहॄपतय, धर्म ,प्रातः कालीन हवन, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद है
- त्रिपुंड की दूसरी रेखा के देवता- महेश्वर, ऊंकार, आकाश, अंतरात्मा, इच्छाशक्ति, दक्षिणाग्नि, सत्वगुण, मध्याह्न हवन
- त्रिपुंड की तीसरी रेखा के देवता- शिव, आहवनीय अग्नि, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तमोगुण, तृतीय हवन स्वर्गलोक, परमात्मा
त्रिपुंड लगाने के लाभ
- मान्यता है कि सभी 27 देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. इसे लगाने से जातक के मन में बुर विचार उत्पन्न नहीं होते. मानसिक शांति मिलती है. व्यवहार में सौम्यता आती है.
- शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन त्रिपुंड लगाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. कहते हैं जो त्रिपुंड को महादेव के प्रसाद के रूप में धारण करता है बुरी शक्तियां उसके आसपास भी नहीं भटकती. साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसे लगाने वाले लोग धर्म के प्रति अग्रसर रहते हैं.
त्रिपुंड लगाने का तरीका
- त्रिपुंड का लाभ तभी मिलता है जब इसे लगाने से पहले और बाद में पवित्रा का विशेष ध्यान दिया जाए. शुद्ध होकर, महादेव और सभी 27 देवी-देवताओं को प्रणाम कर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप कर इसे धारण करें.
- त्रिपुंड लगाने के लिए सिर्फ चंदन या भस्म का ही उपयोग करें. खासकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाई गई भस्म का त्रिपुंड लगाने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं और जातक उनकी कृपा का पात्र बनता है.
- त्रिपुंड हमेशा मध्य की तीन अंगुलियों से भस्म या चंदन लेकर बाएं नेत्र से दाएं नेत्र की ओर लगाया जाता है. ये तीन आड़ी रेखाएं दोनों नेत्रों के बीच ही सीमित रहना चाहिए. ध्यान रहे इसे लगाते वक्त मुख उत्तर दिशा की ओर रखें
- मस्तक के अलावा त्रिपुंड शरीर के 32 अंगों पर भी धारण किया जा सकता है. हर अंग पर लगाने त्रिपुंड का अलग प्रभाव होता है. शास्त्रों के अनुसार इसे ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, ह्रदय, दोनों कलाई, दोनों कोहनी, नाभि, दोनों घुटने, दोनों पाश्र्व भाग, दोनों पिंडली और दोनों पैर भी लगाया जा सकता है.
- कुंडली में चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाना चाहिए. ऐसा करने से चंद्र ग्रह मजबूत होता है. साथ ही साधक की स्मरण शक्ति और निणर्य लेने की क्षमता में वृद्धि होती है. विज्ञान की दृष्टि से भी त्रिपुंड लगाना बहुत लाभकारी माना गया है.
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