Meera Bai Inspirational Story: भक्त कैसा हो और भक्ति कैसी होनी चाहिए, इसका उत्तम उदाहरण है मीराबाई (Meera Bai). बचपन में उनके साथ एक ऐसी घटना हुई, जिसके बाद किशोरावस्था से लेकर मृत्युकाल तक मीरा ने श्रीकृष्ण को ही अपना सबकुछ मान लिया और उनका स्मरण करते हुए ही उनमें समा गई. लेकिन मीरा बाई के बारे में कितना जानते हैं आप केवल ‘श्रीकृष्ण भक्त’. मीरा श्रीकृष्ण की भक्त तो थी ही, लेकिन श्रीकृष्ण से जुड़ने और श्रीकृष्ण में ही समा जाने की अवधि में मीरा के साथ कई रोचक घटनाएं हुई, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए, तभी आप मीरा की भक्ति को जान पाएंगे और समझ पाएंगे.


कौन थी मीराबाई


मीराबाई केवल एक नाम नहीं है, उनकी भक्ति, तरंग, आस्था और श्रद्धा की गरिमा है. मीराबाई का जन्म संवत् 1504 विक्रमी में मेड़ता में राजा रतन सिंह के घर पर हुआ. मीरा जोधपुर के राठौड़ रतनसिंह जी की इकलौती पुत्री थी. राजपूताना जाति में जन्मी मीराबाई का घर से बाहर जाने पर कठोर प्रतिबंध हुआ करता था. लेकिन बचपन में मीरा के साथ ऐसी घटना हुई जिसके बाद वह श्रीकृष्ण के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई.




आठ साल की उम्र में श्रीकृष्ण को पति मान बैठी मीराबाई


जब मीराबाई आठ साल की थीं, तब मोहल्ले में एक बारात को आता देख मीराबाई ने अपनी मां से पूछ लिया कि मेरा दूल्हा कौन है. उनकी मां ने मीराबाई की बाल जिज्ञासा को शांत करने के लिए कह दिया कि तेरे पति श्री कृष्ण हैं. इस घटना के बाद से ही मीराबाई ने श्री कृष्ण को अपना सब कुछ मान लिया और उनकी भक्ति में लीन हो गई. वह श्रीकृष्ण की मूर्ति को नहलाती, नए वस्त्र पहनाती, भोजन का भोग लगाती, गीत गाती और नाचा करती थी. किशोरावस्था में मीरा श्रीकृष्ण को अपना पति मान बैठी थी. इसलिए तो मीरा कृष्ण भक्ति में लीन होकर हमेशा गाया करती थी..




किससे हुआ मीराबाई का विवाह


मीराबाई का विवाह महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ, जो आगे चलकर महाराणा कुंभा कहलाए. शादी के पहले दिन ही मीरा ने अपने पति से कह दिया कि उनके पति केवल श्रीकृष्ण हैं. लेकिन महाराणा कुंभ को मीरा की ये बात केवल परिहास लगी. हालांकि धीरे-धीरे श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति देख उन्हें भी विश्वास हो गया कि मीरा श्री कृष्ण की दीवानी है. मीरा शादी के बाद भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगी थी. वह मंदिर जाकर कृष्ण की मूर्ति के समक्ष नाचती-गाती और भजन करती थी. मीरा के इन कार्यों से उसके ससुराल वाले गुस्सा होने लगे थे.


जब मीरा को पीना पड़ा विष का प्याला


कुछ समय बाद मीरा के पति की मृत्यु एक युद्ध के दौरान हो गई. पति की मृत्यु के बाद जब ससुराल वालों ने मीरा को सती होने के लिए कहा तो मीरा बोली, मेरे पति को श्रीकृष्ण हैं. मीरा पति की मृत्यु के बाद भी मंदिर जाने लगी और भजन-गीत गाकर नाचने लगी. इस पर उसके ससुराल वालों ने मीरा पर व्यभिचारिणी होने का आरोप लगाकर भरी सभा में मीरा को विष का प्याला देकर पीने को कहा. मीरा भी श्रीकृष्ण का नाम लेते हुए विष को पी गई. सबको लगा कि अब मीरा जीवित नहीं बचेगी. लेकिन विष का प्याला मीरा के लिए अमृत बन गया. श्रीकृष्ण की कृपा से मीरा पर विष का कोई प्रभाव नहीं हुआ.


कैसे हुई मीरा की मृत्यु


ससुराल में कई यातनाएं सहने के बाद जब यातनाएं बरदाश्त से बाहर हो गई, तो मीरा महल छोड़कर कई जगह तीर्थ करते हुए वृंदावन पहुंच गई. इधर मीरा के महल छोड़कर चले जाने से राज में उपद्रव होने लगे. ब्राह्मणों ने कहा कि यदि मीरा वापस लौट आएगी तो सब ठीक हो जाएगा.


मीरा की खोज के लिए दो सैनिक भी भेजे गए थे, उन्होंने मीरा को साथ लौटने की विनती की, लेकिन मीरा ने मना कर दिया. सैनिक बोले यदि आप हमारे साथ जीवित नहीं लौटी तो हम भी वापस नहीं लौटेंगे, हमारे परिवार के बारे में सोचिए.


मीरा ने सैनिकों से कहा यदि मैं तुम्हारे आने से पहले ही संसार छोड़ गई होती, तो क्या तुम खाली हाथ वापस लौट जाते. सिपाही बोले तब तो लौटना ही थी. इतना सुनते ही मीरा ने एकतार वाला यंत्र, एक तारा उठा लिया और श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगी. मीरा की आंखों से प्रेम के आंसू बहने लगे और उसी समय मीरा श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गई.


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