Surya Dev Puja, Surya Dev Arghya Daan: सनातन धर्म में प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सूर्य को जल चढ़ाने से धर्म लाभ के साथ साथ शारीरिक लाभ भी प्राप्त होता है. क्योंकि इससे प्रातः काल उठने की आदत बनती है. स्नान करने से त्वचा की चमक बढ़ती है. प्रातः काल सूर्य की किरण पूरे बदन पर पड़ती है. उससे शारीरिक रोग दूर होता है. आलस्य नहीं आता है. आंखों की रोशनी बढ़ती है. सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा के संबंध में श्री कृष्ण भगवान ने भविष्य पुराण में अपने पुत्र सांब को सूर्य देव की महिमा बताई है. भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि सूर्य देव एक प्रत्यक्ष देवता है जिन्हें साफ-साफ देखा जा सकता है. जो भक्त पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ सूर्य की उपासना (Worship of Sun) करता है.
सूर्य को जल चढ़ाता है. उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. श्री कृष्ण ने अपने पुत्र सांब से कहा कि उन्होंने स्वयं सूर्य की आराधना की है. उसी के प्रभाव से दिव्य ज्ञान (Spiritual Intelligence) की प्राप्त हुई है. प्रात: काल उठकर सूर्य की आराधना करने और जल चढ़ाने से अभूतपूर्व लाभ प्राप्त होता है.
ऐसे करें भगवान सूर्य की पूजा
- प्रातः काल स्नान करके तांबे के लोटे में जल भरें. इसमें चावल, फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है.
- सूर्य देव को जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जाप करने से लाभ प्राप्त होता है. मन में बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करते हुए भगवान सूर्य देव को प्रणाम करें.
- सूर्य देव की आराधना के उपरांत तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड, लाल चंदन आदि का दान करें. इन चीजों का दान करने से कुंडली से सूर्य का दोष समाप्त हो जाता है. आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है. घर में सुख शांति बढ़ती है.
- नियमित सूर्य देव की आराधना करने से और उन्हें जल चढ़ाने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिल जाएगी.
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