भगवान विष्णु हिन्दू त्रिदेवों (तीन महा देवताओं) में से एक हैं. निर्माण की योजना के अनुसार, वे ब्रह्माण्ड के निर्माण के बाद, उसके विघटन तक उसका संरक्षण करते हैं. भगवान विष्णु के दस अवतारों को संयुक्त रूप से 'दशावतार' कहा जाता है.10 प्रमुख अवतारों में से 9 अवतार वे ले चुके हैं, जबकि 10वां प्रमुख अवतार कलयुग में होना है.


मत्स्य अवतार: पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था. इस दौरान भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को उपदेश दिया था, जो मत्स्यपुराण कहलाता है.


कूर्म अवतार:  भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय कछुए का अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया था, जिसके कारण समुद्र मंथन सफलतापूर्वक हुआ. भगवान विष्णु के इस अवतार को कच्छप या कूर्म अवतार कहा जाता है.


वराह अवतार:  भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था.  दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को समुद्र के अंदर छिपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने यह अवतार लेकर दैत्य हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को पुन: जल पर स्थापित कर दिया.


नृसिंह अवतारभक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अपने नृसिंह अवतार लिया था. उन्होंने आधे सिंह और आधे नर स्वरूप में दैत्यों के राजा और प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध किया था.


वामन अवतारभगवान विष्णु पांचवां अवतार हैं वामन. इसमें भगवान ब्राम्हण बालक के रूप में धरती पर आए थे और प्रहलाद के पौत्र राजा बलि से दान में तीन पद धरती मांगी थी. तीन कदम में वामन ने अपने पैर से तीनों लोक नाप कर राजा बलि का घमंड तोड़ा था.


परशुराम: दशावतारों में से वह छठवां अवतार थे. विष्णु के अवतार परशुराम राजा प्रसेनजित की बेटी रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र थे. जमदग्नि के पुत्र होने की वजह से इन्हें 'जामदग्न्य' भी कहते हैं. वह शिव के परम भक्त थे. भगवान शंकर ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर परशु शस्त्र दिया था. इनका नाम राम था और परशु लेने के कारण वह परशुराम कहलाते थे. कहा जाता है इन्होंने क्षत्रियों का कई बार विनाश किया था. क्षत्रियों के अहंकारी विध्वंश से संसार को बचाने के लिए इनका जन्म हुआ था.


राम अवतार:  लंका के राजा रावण के वध के लिए त्रेतायुग में भगवान विष्णु अयोध्या में राजा दशरथ के घर राम के रूप में जन्मे थे. सीता हरण के पश्चात लंका के युद्ध में वानर सेना की मदद से राम ने रावण का वध किया. मर्यादित जीवन और आचरण से राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए.


श्री कृष्ण: श्री कृष्ण भी विष्णु के आठवें अवतार थे. भागवत ग्रंथ में भगवान कृष्ण की लीलाओं की कहानियां है. यह मथुरा में देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे. श्री कृष्ण की महाभारत के युद्ध में बहुत बड़ी भूमिका थी. वह इस युद्ध में अर्जुन के सारथी थे. उनकी बहन सुभद्रा अर्जुन की पत्नी थीं. उन्होंने युद्ध से पहले अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. श्रीकृष्ण 16 कलाओं से संपन्न पूर्णावतार थे.


बुद्ध अवतारभगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. उन्होंने विश्व में शांति स्थापना के लिए यह अवतार लिया था. इनका जन्म क्षत्रि‍य कुल के शाक्य नरेश शुद्धोधन के पुत्र के रूप में हुआ था. इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया था. गौतम बुद्ध अपनी शादी के बाद बच्चे राहुल और पत्नी यशोधरा को छोड़कर संसार को मोह-माया और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग पर निकल गए थे.


कल्कि अवतार:  हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु कलयुग के अंत में कल्कि अवतार लेंगे और वह 64 कलाओं में निपुण होंगे. वह घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और धर्म की दोबारा स्थापना करेंगे. इसके बाद सतयुग का प्रारंभ होगा.


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